16 अप्रैल 2012
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को कहा कि वामपंथी उग्रवाद, धार्मिक कट्टरवाद और जातीय हिंसा देश के सामने बड़ी चुनौतियां हैं। प्रधानमंत्री ने राज्यों से आग्रह किया उन्हें केंद्र सरकार के साथ मिलकर इन चुनौतियों से लड़ना चाहिए।
मनमोहन सिंह यहां आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों के वार्षिक सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान ये विचार व्यक्त किए।
प्रधानमंत्री ने कहा, "वामपंथी उग्रवाद, धार्मिक कट्टरवाद और जातीय हिंसा देश के सामने आंतरिक सुरक्षा की बड़ी चुनौतियां हैं.. मैं राज्यों से आग्रह करता हूं कि केंद्र के साथ मिलकर इन चुनौतियों से लड़ें।"
सिंह ने कहा, "फरवरी 2011 से देश में आंतरिक सुरक्षा के हालात कुल मिलाकर संतोषजनक रहे हैं।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ देश के रक्षा उपाय को बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश भर में बढ़ रही अस्थिरता के मद्देनजर यह आवश्यक है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि 2011 में वामपंथी उग्रवाद से सम्बंधित हालात 2010 से बेहतर थे, लेकिन इस दिशा में अभी बहुत कुछ करना बाकी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत कार्य योजना के तहत नक्सल प्रभावित सात राज्यों में जिलों की संख्या 60 से बढ़ाकर 78 कर दी गई है।
नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर (एनसीटीसी) के गठन के विवादास्पद प्रस्ताव का जिक्र करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि वह इस मुद्दे पर पांच मई को मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा करेंगे।
उनसे पहले केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने अपने सम्बोधन में वामपंथी उग्रवाद को देश के सामने सबसे दुर्जेय सुरक्षा चुनौती बताया।