16 अप्रैल 2012
नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि हज यात्रा के लिए वीआईपी कोटा सदैव नहीं रहना चाहिए। न्यायमूर्ति आफताब आलम की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि सरकार ने वीआईपी लोगों के लिए 'वन प्लस नाइन' के एक हज कोटे का प्रस्ताव किया है, लेकिन इसे घटाकर 'वन प्लस थ्री' पर लाना चाहिए और ज्यादा बेहतर होगा कि इससे भी बचा जाए।
न्यायमूर्ति आलम ने कहा कि हज कोटा 1967 में एक सद्भावना के रूप में शुरू हुआ था और इसे हमेशा जारी रखने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
न्यायालय ने यह बात हज टूर ऑपरेटर्स द्वारा दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कही। न्यायालय हज नीति में वीआईपी कोटा के मुद्दे पर गौर कर रहा है।