23 अप्रैल 2012
वाशिंगटन। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अमेरिकी कारपोरेट जगत के उस सुझाव को खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया है कि नेतृत्व सम्बंधी खालीपन के कारण भारत में निवेश सम्बंधी वातावरण पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत में एक शक्तिशाली, मजबूत और स्वीकार्य प्रधानमंत्री है।
अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाऊस को भारत-अमेरिका व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) की ओर से लिखे एक पत्र के संदर्भ मे पूछे जाने पर मुखर्जी ने कहा, "हम कुछ संस्थाओं या संगठन के नजरिये पर कैसे टिप्पणी कर सकते हैं। मैं केवल सच्चाई पर जोर दे सकता हूं कि केंद्र सरकार में नेतृत्व सम्बंधी खालीपन नहीं है।"
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की वसंत बैठक में हिस्सा लेने यहां आए मुखर्जी ने कहा, "और वहां एक बहुत ही शक्तिशाली, मजबूत और स्वीकार्य प्रधानमंत्री हैं।"
माना जा रहा है कि यूएसआईबीसी के अध्यक्ष और मैक्ग्रा-हिल कम्पनीज के मुख्यकार्यकारी अधिकारी हैरॉल्ड टेरी मैक्ग्रा तीतृय ने राष्ट्रपति बराक ओबामा के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक फ्रोमैन को हाल में लिखे एक पत्र में सुझाव दिया था कि भारत के कैबिनेट मंत्री राजनीतिक हमले करने में व्यस्त हैं जबकि ताकतवर नौकरशाहों दिल्ली में भागते देखा जा सकता है।
मैक्ग्रा ने पत्र में कहा, "ऐसा लग रहा है कि राजनीतिक ताकत प्रांतों के नेताओं में विकसित हो रही है और केंद्र में एक खालीपन के कारण सरकार के भीतर के ताकतों को भारत में निवेश के वातावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कदमों को आगे बढ़ाने में मदद कर रहा है।"
भारत के कर निमयों में कुछ पूर्वव्यापी परिवर्तन के बार में अमेरिकी वित्त मंत्री के साथ हुई बैठक का जिक्र करते हुए मुखर्जी ने कहा, "हमने बताया है कि कर नियमों में प्रस्तावित बदलाव विशेष्य नहीं है बल्कि इसकी प्रकृति एक तरह से स्पष्टीकरण जैसा है।"
देश में आर्थिक सुधारों के मसले पर सरकार के लकवाग्रस्त होने सम्बंधी विपक्ष के आरोप के संदर्भ में उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन आर्थिक सुधार को गति देने के लिए कई सुधारों पर काम कर रही है। उन्होंने कहा, "सुधार एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है और यह ऐसा नहीं है कि आप इसे रोक सकते हैं या इसे बढ़ा सकते हैं।"