28 अप्रैल 2012
बठिंडा (पंजाब)। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को कहा कि पेट्रोलियम ईंधनों की कीमत को तार्किक किए जाने की जरूरत है। यह बात उन्होंने यहां बठिंडा जिले में 21,500 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित गुरु गोबिंद सिंह रिफाइनरी के उद्घाटन के दौरान कही। प्रधानमंत्री ने कहा, "हमें अपने कीमती ऊर्जा संसाधनों के संरक्षण के लिए कदम उठाने की जरूरत है। ईंधन के अक्षम इस्तेमाल या बर्बादी के लिए कोई जगह नहीं है चाहे वह पेट्रोल, डीजल हो या मिट्टी का तेल या गैस हो। हमें बेहतर प्रौद्योगिकी अपनाने तथा उपभोक्ताओं को ईंधन संरक्षण के लिए जागरूक करने की जरूरत है।"
उन्होंने कहा, "हमें कीमतों को भी तार्किक बनाने की जरूरत है।"
उन्होंने हालांकि साथ ही कहा, "लेकिन इसी के साथ यह भी सुनिश्चित करने की जरूरत है कि गरीबों और जरूरतमंदों को इसे तार्किक किए जाने से होने वाले असर से बचाया जा सके।"
उन्होंने कहा, "रिफाइनरी जहां काम करती हैं, वहां की औद्यागिक तेजी और विकास के लिए वह उत्प्रेरक का काम करती है। मुझे विश्वास है कि इस रिफाइनरी से यहां कई बड़े उद्योग तथा सहायक कारोबार स्थापित होंगे और बठिंडा तथा इसके आसपास के क्षेत्रों में विकास में तेजी आएगी।"
आजादी के बाद पंजाब में एक सबसे बड़ा निवेश मानी जा रही यह रिफाइनरी दक्षिण पश्चिम पंजाब के बठिंडा शहर के पास फुलोकरी गांव में है।
हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और मित्तल एनर्जी इंवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड (एमईएल), सिंगापुर का संयुक्त उपक्रम, यह परियोजना हाल ही में पूरी तरह चालू स्थिति में आई है। इस परियोजना में लक्ष्मी एन. मित्तल समूह की कम्पनी एमईएल की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह रिफाइनरी पंजाब में नए विकास का सूत्रपात करेगी। उन्होंने कहा, "हमारी सरकार 2004 से ही परियोजना की निगरानी कर रही है और मैं खुश हूं कि परियोजना रिकार्ड समय में पूरी हुई है।"
मित्तल ने भी उद्घाटन समारोह में कहा कि यह रिफाइनरी रिकार्ड समय में पूरी हुई है। उन्होंने कहा, "यह रिफाइनरी पंजाब को इस क्षेत्र के एक पेट्रो-केंद्र के रूप में विकसित करेगी। यह उत्तर भारत के राज्यों की जरूरतें पूरी करेगी।"
मित्तल ने कहा कि रिफाइनरी की क्षमता 90 लाख टन की है, जिसे बाद में 1.80 करोड़ टन बढ़ाया जाएगा।
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि रिफाइनरी की स्थापना पंजाब के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। उन्होंने कहा, "अन्य राज्यों को गेहूं और धान का निर्यात करने के बाद पंजाब अब अपनी इस रिफाइनरी के जरिए पेट्रोल और पेट्रोलियम उत्पाद भी अन्य राज्यों को मुहैया कराएगा।"
परियोजना की आधारशिला 1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखी थी। लेकिन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में 2002 में कांग्रेस के राज्य में सत्ता में आने के बाद परियोजना रुक गई थी। राज्य सरकार ने परियोजना के नियम व शर्तो पर आपत्ति खड़ी की थी।
परियोजना फिर 2008 में तब शुरू हुई, जब 2007 में प्रकाश सिंह बादल की सरकार पंजाब में सत्ता में आई। परियोजना का निर्माण कार्य 2008 में शुरू हुआ था। परियोजना में खनिज तेल का शोधन कार्य अगस्त 2011 में शुरू हो गया था।
कच्चे तेल के शोधन केंद्र और देश भर में 1,117 किलोमीटर लम्बी पाइपलाइन बिछाने का काम 27 महीने के रिकार्ड समय में पूरा हुआ और इसके चलते रिफाइनरी काम करने की स्थिति में आ गई।