2 मई 2012
नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि विचाराधीन मामलों की रिपोर्टिग करते समय मीडिया को यह पता होना चाहिए कि 'लक्ष्मण रेखा' कहां से शुरू होती है जबकि एडिटर्स गिल्ड आफ इंडिया ने पत्रकारों के लिए दिशानिर्देश बनाए जाने के न्यायालय के अधिकार पर सवाल उठाए। प्रधान न्यायाधीश एस.एच. कपाड़िया, न्यायमूर्ति डी.के. जैन, न्यायमूर्ति एस.एस. निज्जर, न्यायमूर्ति आर.पी. देसाई एवं न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर की संवैधानिक पीठ ने कहा, "हम मीडिया को इस बारे में जागरूक करना चाहते हैं। उन्हें पता होना चाहिए कि लक्ष्मण रेखा कहां से शुरू होती है।"
न्यायालय ने कहा कि विचाराधान मामलों पर मीडिया की रिपोर्टिग के लिए उसके द्वारा दिशानिर्देश होने की बात कहे जाने को गलत रूप में समझा जा रहा है।
न्यायालय ने कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(ए) के तहत प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार एवं अनुच्छेद 21 के तहत आरोपी की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार के बीच संतुलन कायम करना चाहता है।
न्यायालय सहारा इंडिया रियल इस्टेट कॉरपोरेशन की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। सहारा ने बाजार से जुटाई गई राशि को हासिल करने के लिए सेबी को भेजे गए अपने प्रस्ताव पर एक समाचार चैनल की रिपोर्टिग को लेकर चिंता जताई है।
न्यायालय इसके पहले कह चुका है कि वह विचाराधीन मामलों की रिपोर्टिग पर दिशानिर्देश बनाएगा।
वहीं, एडिटर्स गिल्ड आफ इंडिया की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा, "मुझे इस न्यायालय में आगे बहस करने की इच्छा नहीं है। न्यायालय इस मामले की सुनवाई करने का अधिकार नहीं रखत है। यह सलाहकार क्षेत्राधिकार का मामला बन गया है।"