पं. हनुमान मिश्रा
गोचरीय परिवर्तनों का सजीव-निर्जीव सब पर असर पडता है। हाल ही में ग्रह गोचर में कूछ परिवर्तन हुए हैं और आने वाले दिनों में कुछ परिवर्तन होने वाले हैं। जीवन में शुभता का समावेश करने वाले ग्रह गुरु बृहस्पति गत २८ अप्रैल से अस्त हो चुके हैं और २८ मई तक अस्त रहेंगे। सबसे धीमें चलने वाले शनि महराज १६ मई को वक्री होकर कन्या में जा रहे हैं। 13 मई को गुरु धरती से सर्वाधिक दूर रहेंगे। 13 मई से 4 जून तक बुध तथा 2 जून से 10 जून तक शुक्र अस्त रहेंगे। बीच में 20/21 मई को सूर्य ग्रहण तथा 4 जून को चंद्र ग्रहण भी होंगे। ग्रहण के समय राहु, केतु का अपनी नीच राशियों में होने से ग्रहण से 10 दिन पहले और 15 दिन बाद तक अत्याधिक कूर प्रभाव हो सकता है। सूर्य ग्रहण के दिन केतु, सूर्य, चंद्र, शुक्र, गुरु अत्याधिक विषम पंचग्रही योग भी बनाएंगे। सूर्य, चंद्र एवं गुरु तथा बुध विशेषकर 13 मई से 29 मई तक और सूर्य, चंद्र, बुध, शुक्र 29 मई से 11 जून के मध्य अत्याधिक विषम प्रभावकारी हो सकते हैं।
आर्थिक जगत पर प्रभाव:
इस गोचरीय उथल-पुथल के कारण भारत की शेयर मार्केट 13 मई से 4 जून के मध्य अत्याधिक विषम प्रभावी रह सकती है। आर्थिक मामलों को लेकर लोगों को परेशानियां उठानी पड सकती हैं। साथ ही आयकर और सम्पत्ति कर से जुड़ी परेशानियां का सामना भी करना पड सकता है। शेयर मार्केट में बैंकों, सोने के शेयरों, बीमा, म्यूचल फंडों, रियल एस्टेट के शेयरों में भारी उथल-पुथल या गिरावट भी सम्भव है। सोने, गेहूं, चने की दाल, घी, चांदी, आईटी शेयरों, जीवन रक्षक दवाइयों की कीमतों में भारी अस्थिरता या कमी देखने को मिल सकती है। महंगाई तीव्र रूप से होने से जनाक्रोश भी बढने की सम्भावना है।
धर्म और आस्था पर प्रभाव:
इन ग्रहीय परिवर्तनो के प्रभाव या दुष्प्रभाव से धर्म और आस्था भी अछूते नहीं रह सकेंगे। श्रद्धालुओं के धर्म के विश्वास में अस्थिरता, धार्मिक स्थलों के आसपास दुर्घटनाओं या हिंसक घटनाओं के दैवीय प्रकोप से हानि सम्भव है। धर्म, और धर्माचार्यों, पुजारी, धर्म संस्थानों के कर्मचारी भी प्रभावित हो सकते हैं यहां तक कि इनकी सामाजिक प्रतिष्ठा और मान्यता पर प्रश्न चिन्ह लग सकता है। वक्री शनि के कन्या राशि में गमन के कारण किसी गैर हिन्दू धर्माचार्य को लेकर भी विवाद उठ सकता है। किसी धार्मिक मुद्दे को लेकर सरकारी पक्ष और विपक्ष में बहस सम्भव है। उच्चतम न्यायालय तथा सरकार में तनाव कुछ भ्रष्टाचार एवं धर्म से जुड़े फैसलों में देखने को मिल सकता है।
सरकार तथा कानून व्यवस्था पर प्रभाव:
राजनैतिक स्थितियां विवादास्पद रह सकती हैं। सरकार की आर्थिक नीतियों, बजट से जुड़े बिलों, लोकपाल तथा चुनाव सुधारों को लेकर विपक्ष सरकार को कमजोर करेगा। देश तथा विश्व के बड़े प्रभावशाली राष्ट्रों में संविधानिक पदों को लेकर तनाव तथा परिवर्तन भी मुमकिन हैं। देश बड़े राजनीतिक परिवर्तनों की दिशा में 1 मई से 11 जून के मध्य बढ़ेगा। दिल्ली, दक्षिणी, पश्चिमी राज्यों में बड़े पदों पर परिवर्तन संभव होंगे। जम्मू कश्मीर और पाकिस्तान से जुडे इलाकों में उत्पात या जनता को परेशानी सम्भव है। गोवा महारष्ट्र और केरल में भी कुछ परेशानी सम्भव है। वैवाहिक समस्याओं, बैंक, आयकर, वित्तीय संस्थानों, शिक्षा संस्थाओं, भ्रष्टाचार, बच्चों से जुड़े मुकदमों में सजा अथवा आर्थिक दंड संभव। भ्रष्टाचार, शिक्षा में सामाजिक प्रतिष्ठा पर आंच संभव।
ग्रहीय परिवर्तन और प्रकृति:
देश में 19 मई से 24 मई के बीच दक्षिणी, पश्चिमी, पूर्वी भारत में भूकम्प जैसी स्थितियां निर्मित हो सकती हैं, भारी वर्षा एवं प्राकृतिक आपदाएं अचानक तापमान में गिरावट, विमान एवं रेल दुर्घटनाओं के योग भी प्रतीत हो रहे हैं। यही ग्रह स्थिति 30 मई से 7 जून के मध्य होगी। 13 मई से 6 जून में ग्रहण के आसपास पूरे विश्व में भूकम्प आने के योग बनते प्रतीत हो रहे हैं। अमेरिका के पश्चिमी भागों, जापान, आस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया एवं भारत, न्यूजीलैंड के दक्षिणी, पूर्वी भागों में बड़े भूकम्पों के योग बन रहे हैं। 13 मई के उपरांत छोटे बच्चों को पीलिया, उदर, हैजा, मस्तिष्क रोग। गर्भवती महिलाओं में उदर, बी. काम्प्लैक्स की कमी, मांसपेशियों से जुड़ी समस्याएं, विकास प्रभावित हो सकता है। बात की जाय उपायों की तो प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए तो सभी को मिलकर पूजा अर्चना एवं हवन आदि करना चाहिए और व्यक्ति विशेष के लिए सम्बंधित ग्रह की शांति के उपाय अपनाने चाहिए।