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कश्मीरी युवक चाहते हैं सेना हटे, फिर हो वार्ता

4 जून 2012

श्रीनगर। कश्मीरी युवक चाहते हैं जम्मू एवं कश्मीर को स्वायत्तता मिले, आर्थिक विकास के बेहतर मौके आएं और जरूरत से ज्यादा तैनात सशस्त्र बलों को हटाया जाए। कश्मीरी युवाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और अलगाववादियों ने यह बात नई दिल्ली से आए युवाओं से बातचीत के दौरान कही। यहां आयोजित विचार गोष्ठी में कश्मीर विश्वविद्यालय के छात्रों और विभिन्न पेशा से जुड़े युवाओं ने कहा कि सशस्त्र बलों को हटाया जाए और उनके लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए उनके साथ वार्ता का वादा पूरा किया जाए।

मानवाधिकार कार्यकर्ता सबा खान ने कहा, "सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (एएफएसपीए) जैसे कानून को हटाने की जरूरत है। क्षेत्र का सैन्यीकरण कश्मीरी लोगों को दबाने के लिए किया गया है, सीमाओं की सुरक्षा के लिए नहीं।"

उन्होंने कहा, "विसैन्यीकरण और कश्मीर के युवाओं के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए हम स्पष्ट कार्ययोजना चाहते हैं।"

सबा ने कहा, "हमारे असुरक्षा बोध को क्या ये सुरक्षा बल दूर कर पा रहे हैं?"

विचार गोष्ठी में जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के नेता यासीन मलिक भी मौजूद थे। उन्होंने कि यहां की समस्या राजनीतिक नहीं, बल्कि मानवीय है।

उन्होंने 2010 के दौरान कश्मीरी युवकों की हत्या की आलोचना करते हुए कहा, "अफसोस है कि महात्मा की इस धरती पर मुझे कहीं गांधी की आत्मा नहीं मिली।"


 


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