8 जून 2012
नई दिल्ली । सर्वोच्च न्यायालय ने नोएडा के बहुचर्चित आरुषि और हेमराज दोहरे हत्याकांड में गुरुवार को आरुषि की मां नूपुर तलवार की पुनर्विचार याचिका रद्द कर दी। न्यायालय ने याचिका पर विचार करने का कोई आधार न पाते हुए निचली अदालत के प्रत्येक निर्णय के खिलाफ अपील कर न्यायालय का समय बरबाद करने पर नूपुर को कठोर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी। याचिका में नूपुर ने न्यायालय से अनुरोध किया था कि वह हत्याकांड में उसके एवं उसके पति राजेश तलवार पर मुकदमा चलाने का आदेश देने वाले अपने फैसले पर पुनर्विचार करे। न्यायालय ने मामले में आगे जांच कराने की मांग करने वाली याचिका भी खारिज कर दी।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति ए.के. पटनायक और जे.एस. खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने के लिए नई याचिका दाखिल कर सकतीं हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय उनकी जमानत की अर्जी खारिज कर चुका है।
तलवार दम्पति ने 9 फरवरी 2011 को गाजियाबाद की स्थानीय अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा पेश क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए उनके खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाने की बात कही गई थी।
नूपुर इस समय गाजियाबाद की डासना जेल में बंद हैं जबकि उसके पति जमानत पर हैं।
न्यायालय ने नूपुर द्वारा इस तरह उसके समय को नष्ट करने पर अप्रसन्नता व्यक्त की और कहा नूपुर को अपने अधिवक्ता की सलाह के अनुसार कार्य करना चाहिए और आगे ऐसी कार्रवाई करने पर कठोर कीमत चुकानी पड़ सकती है।
न्यायाधीश खेहर ने कहा, "अभी मैं केवल याचिकाकर्ता को भविष्य में ऐसा कार्य करने के लिए गम्भीर चेतावनी दूंगा। अंतत: तुच्छ याचिकाओं से न्यायालय का बहुत सारा समय नष्ट होता है। कानून के तहत राहत पाना सभी नागरिक का अधिकार है।" उन्होंने कहा कि ऐसे अधिकारों का प्रयोग न्यायालय का वक्त बर्बाद करने के लिए नहीं किया जा सकता।
14 वर्षीया आरुषि 16 मई 2008 को नोएडा में अपने माता-पिता के घर में मृत पड़ी मिली थी। अगले दिन घर की छत से परिवार के नौकर हेमराज का शव भी बरामद हुआ था। सीबीआई ने इस मामले में तलवार दम्पत्ति को आरोपी बनाया है।