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लखनऊ में बनेगा विश्वस्तरीय स्मृति पार्क

9 जून 2012

लखनऊ। पार्को और स्मारकों के लिए देश-दुनिया में मशहूर नवाबों के शहर लखनऊ में लोगों को अब एक और पार्क देखने को मिलेगा। अखिलेश यादव सरकार द्वारा दिवंगत समाजवादी नेता जनेश्वर मिश्र की स्मृति में लखनऊ में विश्वस्तरीय पार्क बनाने की घोषणा को अमली जामा पहनाने की कयावद शुरू हो गई है।

राजधानी के गोमतीनगर इलाके के व्योमखंड में 500 एकड़ में प्रस्तावित जनेश्वर मिश्र स्मृति पार्क का स्वरूप कैसा होगा, इसे लेकर लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के अधिकारियों में मंथन शुरू हो गया है।

लखनऊ में अब तक गोमतीनगर स्थित 85 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला डॉ. राम मनोहर लोहिया पार्क सबसे बड़ा है। प्रस्तावित पार्क इससे करीब छह गुना बड़ा होगा। खास बात यह है कि यह पार्क पत्थरों या फिर कंक्रीट पर आधारित नहीं होगा बल्कि इसमें हरियाली और प्रकृति को प्रमुखता दी जाएगी।

राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया, "देश के सबसे बड़े पार्को का क्षेत्रफल भी 120 एकड़ के आस-पास है। यह निश्चित रूप से देश का सबसे बड़ा पार्क होगा। प्रस्तावित पार्क में पूर्ववर्ती सरकार द्वारा निर्मित पार्को की तरह बड़ी मात्रा में पत्थर के प्रयोग की जगह हरियाली पर जोर होगा।"

सरकार ने एलडीए के अधिकारियों से कहा है कि इस पार्क को विकसित करने के लिए वे विशेषज्ञों से विचार विमर्श करें।

एलडीए के अधिकारी अमेरिका, आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड सहित दुनिया के अन्य देशों के पार्को के बारे में अध्ययन कर जानकारी जुटाने में लग गए हैं। एलडीए के सचिव अष्टभुजा प्रसाद तिवारी ने बताया, "500 एकड़ में पार्क का होना अपने आप में एक अद्भुत बात है। इतनी हरियाली किसी भी शहर के लिए एक अलौकिक अनुभव होगा।"

उन्होंने कहा ,"हम दुनियाभर के पार्को के बारे में अध्ययन कर रहे हैं ताकि व्योमखंड के इस प्रस्तावित पार्क को अद्भुत बनाया जा सके और यहां आने वाले लोगों को एक खास अनुभव हो। आने वाले दिनों में पार्क के स्वरूप को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया जाएगा।"

प्राधिकरण के एक अधिकारी ने बताया कि अब तक जो शुरुआती विचार विमर्श हुआ है, उसके अनुसार प्रस्तावित पार्क में विस्तृत हरियाली क्षेत्र होने के साथ जलाशय, नौकायन, सभागार सहित अनेक ऐसे स्थल होंगे जो लोगों का मनोरंजन करने के साथ ही ज्ञानवर्धक भी होंगे।

माना जा रहा है कि इस पार्क की हरियाली पूरे लखनऊ में मौजूद ग्रीन बेल्ट के लगभग बराबर होगी और इससे न सिर्फ इस शहर के निवासियों को हरियाली का आनंद मिलेगा बल्कि इससे लगातार बढ़ते तापमान पर असर पड़ेगा।

मालूम हो कि पूर्ववर्ती मायावती सरकार द्वारा लखनऊ में हजारों करोड़ रुपये की लागत से विभिन्न पार्को और स्मारकों का निर्माण कराया गया है। हालांकि इन स्मारकों और पार्को में हरियाली के बजाय चारों तरफ पत्थर ही पत्थर देखने को मिलता है।

 


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