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ईरानी तेल आयात प्रतिबंधों से भारत मुक्त हुआ

12 जून 2012

वाशिंगटन। भारत और अमेरिका के बीच यहां होने वाली रणनीतिक बातचीत से एक दिन पहले अमेरिका ने भारत तथा छह अन्य देशों को ईरानी तेल आयात सम्बंधी सख्त प्रतिबंधों से मुक्त कर दिया है। भारत को प्रतिबंधों से मुक्त कर अमेरिका ने अपनी रणनीतिक बातचीत से एक विवादास्पद मुद्दे को हटा दिया है। यह बातचीत अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और भारतीय विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा की सह-अध्यक्षता में बुधवार को यहां शुरू होने जा रही है।

विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उसने उस अमेरिकी अधिसूचना देख लिया है, जिसमें ईरानी कें द्रीय बैंक और अमेरिका द्वारा चिह्न्ति किए गए अन्य वित्तीय संस्थानों से ऊर्जा सम्बंधी लेन-देन के अमेरिकी कानून के प्रावधानों के क्रियान्वयन से भारतीय वित्तीय संस्थानों को मुक्त कर दिया गया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन से अमेरिकी घोषणा के सम्बंध में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "अमेरिका सरकार ने अपने घरेलू कानून के तहत यह निर्णय लिया है।"

उन्होंने कहा, "भारत व अमेरिका के बीच सामरिक भागीदारी बढ़ रही है। 13 जून को होने वाली भारत-अमेरिका रणनीतिक वार्ता एक बार फिर हमारे सम्बंधों की मजबूती व हमारे साझा मूल्यों व हितों पर आधारित हमारे द्विपक्षीय सहयोग की असाधारण व्यापकता को दिखाएगी।"

भारत के अलावा मलेशिया, दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, तुर्की और ताईवान को भी प्रतिबंधों से मुक्त किया गया है। ईरानी कच्चे तेल के दो शीर्ष खरीददारों चीन व सिंगापुर को प्रतिबंधों के अंदर रखा गया है। इस महीने के अंत में इन दोनों देशों पर जुर्माना लगाया जा सकता है।

हिलेरी क्लिंटन ने सोमवार को कहा था कि जिन देशों को प्रतिबंधों से मुक्त किया गया है, उन सभी ने ईरान से कच्चे तेल की खरीददारी में काफी कमी लाई है।

क्लिंटन ने कहा, "ईरानी तेल की बिक्री कम करके हम वहां के नेताओं को एक निर्णायक संदेश भेज रहे हैं: जब तक वे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चिंताएं दूर करने और उन्हें संतुष्ट करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाते, तब तक वे अलगाव व दबाव का सामना करेंगे।"

क्लिंटन ने कहा, "हमने ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के अपने प्रयासों के समर्थन में और उसे उसके अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ये प्रतिबंध लागू किए हैं।"

उन्होंने कहा, "अमेरिका अपनी दोहरी नीति पर प्रतिबद्ध है। इसके तहत ईरान को मौका दिया जाता है कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर हमारी चिंताओं को दूर करने के लिए पी5 प्लस 1 देशों के साथ बातचीत के जरिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ गम्भीरता से आदान-प्रदान करे।"

क्लिंटन ने कहा, "ईरान, मास्को में अगले दौर की बातचीत के दौरान इन चिंताओं का समाधान कर सकता है। मैं ईरानी नेताओं से ऐसा करने का आग्रह करती हूं।"

अमेरिकी ऊर्जा विभाग के मुताबिक, सोमवार को प्रतिबंधों से मुक्त किए गए भारत और दक्षिण कोरिया, पिछले साल के शुरुआती छह महीनों में ईरानी तेल के तीसरे व चौथे सबसे बड़े खरीददार थे।

 


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