14 जून 2012
वाशिंगटन । भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक वार्ता में भारत ने कहा कि वह निवेशकों का विश्वास हासिल कर लेगा, जबकि एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने भारत में निवेश के माहौल पर अमेरिकी कारोबारियों की चिंता सामने रखी।
विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा ने मंगलवार को अमेरिका-भारत व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) की बैठक में कहा, "वैश्विक अंतरनिर्भरता के युग में राष्ट्रीय सरकारों के अधिकार में सबकुछ नहीं है।"
कृष्णा ने 350 प्रमुख अमेरिकी और भारतीय कम्पनियों के इस मंच में कहा, "लेकिन हमें विश्वास है कि हम निवेशक विश्वास बहाल करेंगे और आर्थिक रफ्तार व विकास पुन: हासिल करेंगे।"
कृष्णा ने यह बात तीसरे भारत-अमेरिकी रणनीतिक संवाद की पूर्व संध्या पर कही। इसकी सहअध्यक्षता वह और अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन कर रहे हैं।
कृष्णा ने कहा, "आर्थिक नीति और सुधारों के क्रियान्वयन के प्रति वचनबद्धता को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इस बात पर संदेह व्यक्त किए जा रहे हैं कि क्या अतुल्य भारत की कहानी विश्वसनीय बनी रहेगी!"
कृष्णा ने कहा, "भारत का विश्वास केवल हमारी अर्थव्यवस्था के मजबूत बुनियादी बातों से नहीं पनपता, बल्कि इस सच्चाई से भी कि एक तरह से भारत के सभी राजनीतिक दल कुछ हद तक सुधार प्रक्रिया का हिस्सा रहे हैं।"
इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों के शीर्ष सलाहकार ने कहा कि भारत के वैश्विक शक्ति के रूप में उभरने में अमेरिका की काफी दिलचस्पी है। उन्होंने हालांकि भारत में निवेश के माहौल पर अमेरिकी कारोबारियों की चिंता सामने रखी।
उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकेल फ्रोमैन ने मंगलवार को अमेरिका-भारतकारोबार परिषद की बैठक में कहा, "अमेरिकी कम्पनियों ने लगातार आर्थिक सम्बंध पर चिंता जताई है। उनकी चिंता यह है कि निवेश का माहौल बिगड़ा है या घरेलू राजनीतिक चुनौती से सुधार की गति धीमी हो रही है।"
उन्होंने कहा, "द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक सम्बंध काफी बेहतर हुआ है, लेकिन काफी कुछ किया जाना बाकी है।"
फ्रोमैन ने बुधवार को होने वाली भारत-अमेरिका रणनीतिक वार्ता की पूर्व संध्या पर कहा, "एक रणनीतिक साझेदार होने के कारण हमें यह स्पष्ट रखना होगा कि हम कितने अच्छे तरीके से यह सब कर सकते हैं।"
फ्रोमैन ने कहा, "राष्ट्रपति बराक ओबामा अपनी विदेशी नीति में भारत को शीर्ष वरीयता देते हैं और 21वीं सदी की शक्ति के रूप में भारत की बढ़ती भूमिका को स्वीकार करते हुए भारत के साथ दीर्घकालीन साझेदारी करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
उन्होंने कहा, "भारत के विश्व शक्ति बनने में हमारी गहरी दिलचस्पी है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और जल्दी ही सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन सकता है।"
उन्होंने हालांकि कहा कि कारोबारियों में एक तरह की निराशा है। उन्होंने नागरिक परमाणु समझौता, कर तथा नियामकी सुधार को लागू करने जैसे मुद्दों की ओर ध्यान दिलाया।