18 जून 2012
मुम्बई। मध्य तिमाही मौद्रिक नीति की घोषणा में महंगाई पर नियंत्रण करने की एक और कोशिश के तहत भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को प्रमुख ब्याज दरों में कोई परिवर्तन न करते हुए उन्हें जस का तस बनाए रखा। लेकिन आरबीआई ने कहा है कि वह संकटग्रस्त वैश्विक आर्थिक हालात में राहत उपलब्ध कराने के लिए तैयार है।
बाजार का अनुमान था आरबीआई दरों में कटौती करेगा, यदि ऐसा होता तो उपभोक्ताओं को उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु, आवास और वाहन की खरीददारी के लिए ऋण पर लगने वाली ब्याज दर कम हो सकती थी।
आर्थिक विश्लेषकों के मुताबिक उच्च ब्याज दर के कारण बाजार में खरीददारी का स्तर सुस्त बना रहेगा।
आरबीआई ने एक बयान में कहा, "तरलता के प्रबंधन की प्राथमिकता बरकरार है। यदि तरलता की स्थिति सामान्य भी हो गई, तो भी रिजर्व बैंक, तरलता के दबावों से निपटने की जरूरत पड़ने पर मुक्त बाजार परिचालन (ओएमओ) व्यवस्था का इस्तेमाल करता रहेगा।"
बयान में कहा गया है, "वैश्विक हालात को संकटग्रस्त मानते हुए, रिजर्व बैंक किसी भी विपरीत घटनाक्रम पर त्वरित एवं उचित प्रतिक्रिया के सभी उपलब्ध उपादानों व उपायों का इस्तेमाल करने के लिए तैयार है।"
रिजर्व बैंक ने आगे कहा है कि पिछली दर कटौती के बाद से वैश्विक व्यापक आर्थिक संकेतकों की स्थिति बिगड़ी है और महंगाई दर सुविधाजनक स्तर से काफी ऊपर है।
बैंक ने कहा है, "अप्रैल में आरबीआई के वार्षिक नीतिगत बयान के समय से वैश्विक व्यापक आर्थिक एवं वित्तीय हालात बिगड़े हैं। ठीक उसी समय घरेलू आर्थिक हालात से भी कई गम्भीर चिंताएं खड़ी हुई हैं।"
दरों में कटौती न करके आरबीआई ने उन दबावों का प्रतिरोध किया है, जो दरों की कटौती के लिए इस पर बन रहे थे। यह दबाव हाल के उस आकड़े से पैदा हो रहा था, जिससे यह स्पष्ट हुआ था कि अर्थव्यवस्था निम्न विकास दर का सामना कर रही है।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी किए गए हाल के आंकड़े के मुताबिक अप्रैल महीने में देश का औद्योगिक उत्पादन मामूली 0.1 फीसदी बढ़ा।
आरबीआई ने हालांकि कहा है कि महंगाई लगातार बहुत उच्चस्तर पर बनी रहेगी और सामान्य स्तर से काफी ऊपर रहेगी।
लेकिन आरबीआई ने कहा कि महंगाई अब भी सुविधाजनक स्तर से काफी ऊपर है।
बैंक ने कहा है, "जहां 2011-12 में विकास दर काफी कम रही, वहीं महंगाई दर, स्थिर विकास के अनुकूल स्तरों से ऊपर बनी हुई है। महत्वपूर्ण बात यह है कि खुदरा महंगाई दर का रुख भी ऊध्र्वमुखी बना हुआ है।"
खाद्य महंगाई छह महीने के अंतराल के बाद अप्रैल 2012 में फिर से दो अंकों पर पहुंच गई है और यह रुख मई में भी बना हुआ है।
मई में खाद्य महंगाई अप्रैल महीने के 8.25 प्रतिशत से बढ़कर 10.74 प्रतिशत पर पहुंच गई, क्योंकि सब्जियां, दालें, दूध, अंडा, मांस और मछलियों के दाम बढ़ गए।
मई में समग्र महंगाई इसके पहले महीने के 7.23 प्रतिशत के मुकाबले बढ़कर 7.55 प्रतिशत पर पहुंच गई।
महंगाई से निपटने के लिए आरबीआई ने मार्च 2010 से अपनी प्रमुख ब्याज दरें 13 बार बढ़ाई, लेकिन अप्रैल में रेपो दर में 50 आधार बिंदु की कटौती कर उसने इस दर चक्र को विपरीत दिशा में घुमाने की कोशिश की।
इस तरह आरबीआई की रेपो दर आठ फीसदी और रिवर्स रेपो दर सात फीसदी पर बनी हुई है।
रेपो दर, रिजर्व बैंक द्वारा व्यावसायिक बैंकों से अल्पकालिक उधारियों पर ली जाने वाली ब्याज दर है। जबकि रिवर्स रेपो दर आरबीआई द्वारा बैंकों को जमा राशि पर दी जाने वाली ब्याज दर है।
अपरिवर्तित नीतिगत दर और अनुपात प्रतिशत में इस प्रकार हैं :
बैंक दर : 9.00 फीसदी
रेपो दर : 8.00 फीसदी
रिवर्स रेपो दर : 7.00 फीसदी
मार्जिनल स्टेंडिंग फैसिलिटी रेट : 9.00 फीसदी
नकद आरक्षित अनुपात : 4.75 फीसदी
स्टेट्यूटरी लिक्वि डिटी रेट : 24.00 फीसदी