20 जून 2012
नई दिल्ली। ब्रिटिश मूल के भारतीय लेखक रस्किन बांड ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी अपनी भावनाओं को अक्षरों में ढालकर खूब सारी कविताएं लिख रही है, जबकि पहले की पीढ़ी सिर्फ पढ़ने और चिंतन में विश्वास करती थी।
रस्किन ने एक साक्षात्कार में कहा, "आप जो कहना चाहते हैं वह बच्चे कविता के माध्यम से व्यक्त करने को आतुर हैं। यदि वे पढ़ने पर ध्यान दें तो और भी बेहतर कविताएं लिख सकते हैं।"
उन्होंने कहा कि आजकल बच्चों का समय लैपटॉप चलाने और दूसरे कामों में निकल जाता है। लेकिन उन्हें अध्ययन करते हुए देखना एक सकारात्मक संकेत है।
पिछले हफ्ते अपने कविता संग्रह के विमोचन के मौके पर पणजी आए रस्किन ने कहा कि ये बच्चों के लिए लिखी गई कविताएं हैं।
उन्होंने कहा कि कविताओं में पशु-पक्षी और प्रकृति का वर्णन होने से उनकी महत्ता और बढ़ जाती है।
रस्किन ने कहा कि भारत में बाल साहित्य का बाजार बड़ा एवं विविधता लिए हुए है। पिछले कुछ समय से लोक साहित्य तेजी से बढ़ा है और इंटरनेट पर खासतौर पर बच्चों के लिए काफी किताबें उपलब्ध हैं।
अपनी दिनचर्या के बारे में रस्किन ने बताया कि वह खूब सोते हैं और ज्यादातर समय सुस्त पड़े होते हैं।
रस्किन ज्यादा काम करने के लिए पहले स्वयं को तैयार करते हैं। उन्होंने कहा, "मैं जब लिखना शुरू करता हूं तो लम्बे समय तक इसे जारी रखता हूं।"
मशहूर फिल्म निर्देशक विशाल भारद्वाज ने फिल्म 'सात खून माफ' का निर्माण रस्किन के उपन्यास पर ही किया था। इस फिल्म में रस्किन ने अभिनय भी किया था।
उन्होंने बताया, "मेरी कुछ पुस्तकें बड़ों के लिए हैं तो कुछ बच्चों के लिए भी हैं, लेकिन मुझे बच्चों के लिए लिखना ज्यादा पसंद है।"