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निकाय चुनाव में असंतोष से जूझती कांग्रेस

21 जून 2012

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पूरा जोर लगाने के बाद पराजय का मुंह देखने वाली कांग्रेस पार्टी निकाय चुनावों में भी मजबूती से खड़ी होती नजर नहीं आ रही है। गुटबाजी और टिकट वितरण में निचले स्तर तक गहराया असंतोष निकाय चुनाव में पार्टी के आड़े आ रहा है।

ज्यादा से ज्यादा नगर निगमों पर कब्जा करने के लक्ष्य के साथ निकाय चुनावों के मैदान में उतरी कांग्रेस पार्टी के सामने असंतुष्ट नेताओं की फौज बड़ी चुनौती साबित होती दिख रही है। गाजियाबाद से लेकर वाराणसी और इलाहाबाद से लेकर बरेली तक ज्यादातर जगहों पर महापौर के टिकट वितरण में असंतोष के चलते पार्टी को उम्मीदवार घोषित करने में काफी देरी हुई।

वाराणसी में पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट को ताक पर रखकर पार्टी के एक प्रभावशाली महासचिव के दबाव में अशोक सिंह को महापौर का उम्मीदवार घोषित किया लेकिन पुराने कांग्रेस रत्नाकर तिवारी और सत्यनारायण पांडेय विरोध जताते हुए मैदान में कूद गए।

इसी तरह गाजियाबाद में पूर्व सांसद सुरेंद्र गोयल और रमेश तोमर के खेमों के बीच तालमेल न होने पर दिल्ली के निर्देश पर विजय चौधरी को टिकट देकर उम्मीदवार बनाया गया लेकिन दोनों खेमे फैसले को मानने को तैयार नहीं हैं। उधर, बरेली और इलाहाबाद में कांग्रेस के निवर्तमान महापौर इस चुनाव में उम्मीदवारी का टिकट कटने से लगातार बगावती तेवर दिखा रहे हैं। वहीं अलीगढ़ के 13 वार्डो में दो प्रत्याशियों को पार्टी का चुनाव चिह्न् देने का मुद्दा तूल पकड़े हुए है।

प्रदेश नेतृत्व द्वारा डैमेज कंट्रोल की तमाम कयावदों के बावजूद बगावत के सुर थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। माना जा रहा है कि इस असंतोष से कांग्रेस को चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है।

हालिया विधानसभा चुनाव में बाराबंकी, बहराइच, गोंडा, बस्ती, श्रावस्ती, सीतापुर, लखनऊ, फैजाबाद जैसे कई जिलों में सालों से कांग्रेस के लिए काम करने वाले नेताओं को दरकिनार करके समाजवादी पार्टी (सपा) व दूसरे अन्य दल छोड़कर आए नेताओं को टिकट देने का पार्टी नेताओं ने खुलकर विरोध किया था। बाद में पार्टी की हार में टिकट वितरण में असंतोष एक बड़ा कारण माना गया था।

विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तो सार्वजनिक तौर पर माना था कि टिकट वितरण में गड़बड़ी भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार की एक बड़ी वजह थी।

पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हिलाल नकवी ने दावा किया कि ज्यादातर स्थानों पर टिकट वितरण में गहराया असंतोष आपसी बातचीत के जरिए दूर कर लिया गया है और जिन जगहों पर ऐसा कुछ है वहां हालात सुधार कर पार्टी के अनुकूल बनाने की कोशिशें की जा रही हैं।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी निकाय चुनाव में बड़ी ताकत बनकर उभरेगी और नगर निगम की सारी सीटों पर कब्जा करेगी।

उल्लेखनीय है कि निकाय चुनाव के लिए मतदान चार चरणों में होगा। पहले चरण में 23 जून को 18 जिलों में, दूसरे चरण में 27 जून को 17 जिलों में, तीसरे चरण में एक जुलाई को 20 जिलों में और चौथे चरण में चार जुलाई को 17 जिलों में मतदान होगा। मतगणना का काम सात जुलाई को होगा। निकाय चुनाव में 12 नगर निगमों, 189 नगरपालिकाओं और 404 नगर पंचायतों के लिए मतदान होगा।

 


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