22 जून 2012
मुम्बई। रुपये में लगातार दूसरे दिन शुक्रवार को रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई, और यह पहली बार है रुपया डॉलर के मुकाबले 57 से भी नीचे पहुंच गया। रुपये में यह गिरावट तेल एवं स्वर्ण आयातकों में डॉलर की बढ़ी मांग के कारण आई है।
आंशिक रूप से परिवर्तनीय रुपया कमजोरी के साथ खुला और अपराह्न् में कारोबार के दौरान एक डॉलर के मुकाबले 57.30 के रिकॉर्ड निम्न स्तर पर पहुंच गया।
इसके पहले, दिन के कारोबार के दौरान 56.57 के एक रिकॉर्ड निम्न स्तर पर पहुंचने के बाद रुपया एक डॉलर के मुकाबले 56.30 पर बंद हुआ था।
रुपये के मूल्य में यह लगातार पांचवें दिन गिरावट हुई है। रुपये में तब से तीव्र अवमूल्यन हुआ है, जब फिच ने देश के ऋण साख को 'स्थिर' से घटाकर 'नकारात्मक' कर दिया।
फिच, देश के ऋण साख को घटाने वाली, स्टैंडर्ड एंड पुअर्स के बाद दूसरी रेटिंग एजेंसी बन गई है। इन दोनों एजेंसियों ने भारत के निवेश स्तर को सबसे निम्न स्तर पर ला दिया है।
इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी 18 जून को घोषित मौद्रिक नीति की अपनी अर्ध तिमाही समीक्षा में मुख्य दरों को अपरिवर्तित रखकर बाजार को निराश किया है।
आरबीआई के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने इस सप्ताह के प्रारम्भ में कहा था कि आरबीआई केवल रुपये की अस्थिरता रोकने के लिए मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करेगा।