27 जून 2012
पंजाब। पाकिस्तानी जेल में कैद सरबजीत सिंह की रिहाई पर पाकिस्तान का रुख बदलने के बाद उनके परिवार में जहां निराशा छाई हुई है, वहीं सुरजीत सिंह की रिहाई का समाचार सुनकर उनके परिवार में उल्लास का माहौल है। सुरजीत लाहौर की कोट लखपत जेल में तीन दशक से भी लम्बे समय से कैद है।
चण्डीगढ़ से 280 किलोमीटर दूर पंजाब के फिरोजपुर जिले के फिड्डे गांव में सुरजीत की रिहाई की खबर सुनने के बाद से उनका परिवार खुशियां मना रहा है।
सुरजीत की रिहाई की खबर उनके परिवार को तब लगी, जब मंगलवार की देर रात मीडियाकर्मियों ने उनके घर पर फोन किया। पाकिस्तान सरकार ने बुधवार तड़के एक बजे सुरजीत की रिहाई की घोषणा की थी जबकि पूर्व में सरबजीत की रिहाई की बात कही गई थी। पूर्व में कहा गया था कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के आदेश के बाद सरबजीत को रिहा किया जाएगा।
सुरजीत के बेटे कुलविंदर ने बुधवार को अपने गांव में मीडिया से कहा, "हम लाहौर जेल से मेरे पिता की रिहाई का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने बरसों पहले अपनी सजा पूरी कर ली थी। अंतत: उन्हें रिहा किया जा रहा है। हम अटारी सीमा पर उल्लास के साथ उनका स्वागत करेंगे।"
कुलविंदर ने कहा, "हम अपने पिता की रिहाई को लेकर बहुत खुश हैं लेकिन हम पाकिस्तान सरकार से सरबजीत सिंह की भी रिहाई की मांग करते हैं।"
उन्होंने बताया कि उनके पिता 1982 में गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंच गए थे और उन्हें वहां गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर जासूसी का आरोप लगाया गया और उन्हें जेल में डाल दिया गया।
सुरजीत की रिहाई की खबर से उनके गांव व आसपास के गांवों में खुशी का माहौल है और लोग बधाइयां देने के लिए उनके घर पहुंच रहे हैं। सुरजीत व सरबजीत दोनों कोट लखपत जेल में हैं।
'जियो न्यूज' के मुताबिक जरदारी के प्रवक्ता फरहतुल्लाह बाबर ने कहा, "मुझे लगता है कि इस सम्बंध में कुछ गलतफहमी हुई है। सबसे पहले तो यह कि यह क्षमादान का मामला नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह मामला सरबजीत का नहीं है। यह सुच्चा सिंह सुपुत्र सुरजीत सिंह का मामला है। वर्ष 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की सलाह पर राष्ट्रपति गुलाम इस्हाक खान ने उसकी मौत की सजा कम कर उम्रकैद कर दी थी।"
गौरतलब है कि भारत ने पिछले महीने पाकिस्तान के 80 वर्षीय कैदी खलील चिश्ती को स्वदेश भेजा था। चिश्ती हत्या के आरोप में दो दशक से अजमेर की जेल में कैद थे।