28 जून 2012
शिमला। पिछले दो महीनों से हिमाचल प्रदेश में लगी जंगल की आग से 20,000 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र की करीब दो करोड़ रुपये से ज्यादा की वनसम्पदा जलकर राख हो चुकी है जबकि पिछले साल यह नुकसान 43 लाख रुपये का था।
वन विभाग के अधिकारी के मुताबिक मानसून के आने में हो रही देरी के कारण यहां स्थिति और खराब हो सकती है।
सोलनगिले के धर्मापुर इलाके में रहने वाले जीवन लाल के मुताबिक अब लोग बारिश के आने की ही प्रार्थना कर रहे हैं।
वन्य अधिकारियों का मानना है कि यह आग स्थानीय लोगों द्वारा घास को जलाये जाने के बाद फैली है।
वहीं एक गैर सरकारी संगठन के संयोजक राजेश्वर नेगी का मानना है कि वन विभाग गर्मियों के मौसम से पहले आग की आशंका वाले इलाकों में की जाने वाली सालाना कार्रवाई को बंद कर दिया है। और राज्य सरकार के पास ऐसी मानवीय गतिविधियों को रोकने के कोई उपाय नहीं हैं जिन से इस तरह की आग फैलती है।