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पुरी में भगवान जगन्नाथ के घर वापसी का उत्सव

 29 जून 2012

भुवनेश्वर।  ओडिशा के मंदिरों के शहर पुरी में शुक्रवार को भगवान जगन्नाथ व दो अन्य देवताओं की बाहुडा यात्रा के साथ घर वापसी के उत्सव में शामिल होने के लिए लाखों श्रद्धालु इकट्ठे हुए हैं। मंदिर प्रशासन के जनसम्पर्क अधिकारी लक्ष्मीधर पूजापांडा ने यहां बताया कि हल्की बारिश के बावजूद पुरी में चार लाख से ज्यादा लोग इकट्ठे हुए हैं। पुरी यहां से करीब 56 किलोमीटर की दूरी पर है।

अधिकारियों को उम्मीद है कि मौसम सुहाना होने की वजह से श्रद्धालुओं की संख्या 10 लाख तक बढ़ सकती है।

इस समारोह से पहले बहुत से धार्मिक अनुष्ठान पूरे किए गए हैं। पूजापांडा ने बताया कि समारोहपूर्वक जुलूस निकालने के लिए पहांडी नाम से मशहूर देवताओं को मंदिर से बाहर रथों पर निकालने के लिए पहले दोपहर 12 बजे का समय निर्धारित किया गया था। वैसे उन्हें दो घंटे पहले ही रथों पर निकाल लिया गया।

बाहुडा यात्रा भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र व उनकी बहन सुभद्रा की गुंडिचा मंदिर से मुख्य जगन्नाथ मंदिर में वापसी की प्रतीक है। दोनों मंदिर पुरी में ही हैं और एक-दूसरे से तीन किलोमीटर की दूरी पर हैं।

वार्षिक रथ यात्रा के नौ दिन बाद देवताओं की वापसी का यह उत्सव मनाया जाता है। रथ यात्रा में तीनों देवता 12वीं शताब्दी के जगन्नाथ मंदिर से सजे-धजे लकड़ी के रथों में गुंडिचा मंदिर तक की यात्रा पर निकलते हैं।

भारतीय कैलेंडर के आषाढ़ (जून-जुलाई) महीने में रथ यात्रा निकाली जाती है। देवता सजे-धजे रथों में जगन्नाथ मंदिर लौटते हैं। हजारों श्रद्धालु मंत्रोच्चारों के बीच उनके रथों को खींचते हैं।

रथ यात्रा व बाहुडा यात्रा के दौरान रथों पर देवताओं की झलक देखना बहुत शुभ माना जाता है।

राज्य सरकार ने बाहुडा यात्रा के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए हैं। कानून-व्यवस्था बनाए रखने व किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचने के लिए करीब 8,000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।

किसी भी प्रकार की आपात स्थिति से निपटने के लिए बम निरोधक दस्ते व दलकल की गाड़ियां भी तैयार हैं। पुरी तट के नजदीक बंगाल की खाड़ी में भी एक जहाज पर तट-रक्षक जवान नजर रखे हुए हैं। समुद्री मार्ग पर गश्त बढ़ा दी गई है।

 


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