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2जी घोटाला : राजा की याचिका पर सीबीआई को नोटिस

9 जुलाई 2012

नई दिल्ली।  दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा की याचिका पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी किया। राजा ने, जांच में पक्षपात के आधार पर 2जी मामले में अपने खिलाफ आरोपों को खारिज करने की मांग की है।

न्यायमूर्ति ए.के. पाठक ने नोटिस जारी करते हुए सीबीआई से चार सप्ताह के भीतर जवाब सौंपने के लिए कहा और मामले की सुनवाई के लिए छह सितम्बर की तारीख तय कर दी।

राजा को फरवरी 2011 में गिरफ्तार किया गया था और जमानत पर रिहा होने से पहले उन्होंने 15 महीने जेल में बिताया था। राजा ने अपनी याचिका में कहा है कि मामले की सुनवाई कर रहे सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ने यह स्थापित करने में गलती की है कि स्पेक्ट्रम आवंटन का तरीका अवैध था।

राजा ने यह भी आरोप लगाया है कि मामले में दायर आरोप पत्र से जांच में पक्षपात भी स्पष्ट हुआ है, क्योंकि इसमें 2003-07 की अवधि के दौरान जारी किए गए दूरसंचार लाइसेंस के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। इस अवधि के दौरान राजा केंद्रीय दूरसंचार मंत्री नहीं थे।

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के सांसद राजा ने अपनी याचिका में कहा है, "2003-07 की अवधि के दौरान दूरसंचार विभाग द्वारा कुल 51 लाइसेंस जारी किए गए थे। ये लाइसेंस उन्हीं नियमों व शर्तो पर जारी किए गए थे, जिन नियम एवं शर्तो पर याचिकाकर्ता के कार्यकाल के दौरान 2008 में लाइसेंस जारी किए गए थे। फिर भी आरोप पत्र में इसके बारे में कुछ नहीं कहा गया है। इससे जांच में पक्षपात जाहिर होता है। विशेष न्यायाधीश ने भी इस पहलू को नजरअंदाज किया, जो कि एक गम्भीर भूल है।"

राजा ने आगे कहा है कि सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ओ.पी. सैनी इस बात को समझने में विफल रहे हैं कि 2जी स्पेक्ट्रम के मूल्य निर्धारण और आवंटन से सम्बंधित मुद्दों पर मंत्री के रूप में राजा के निर्णय और उनकी कार्रवाई पूरी तरह विभागीय नीति के अनुसार थीं।

राजा ने दावा किया है कि सरकारों ने लगातार दूरसंचार लाइसेंस स्पेक्ट्रम आवंटन, राजस्व बढ़ाने को आधार बनाकर नहीं, बल्कि अन्य आधारों पर किया है।

 


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