10 जुलाई 2012
नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को बिहार के गोपालगंज के जिला मजिस्ट्रेट जी. कृष्णया की दिसम्बर, 1994 में हुई हत्या के मामले में दोषी पूर्व लोकसभा सदस्य आनंद मोहन की अपील खारिज कर दी। मोहन को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी और उन्होंने इस खत्म किए जाने को लेकर अपील की थी।
मोहन ने पटना उच्च न्यायालय में अपनी दोषसिद्धि व उम्रकैद की सजा को चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति ए.के. पटनायक की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने मोहन की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखते हुए अपने फैसले में कहा कि उनके द्वारा दी गई दलील में कोई दम नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार सरकार की मोहन की सजा बढ़ाए जाने की मांग को भी खारिज कर दिया।
मोहन व 35 अन्य पांच दिसम्बर, 1994 को हुई कृष्णया की हत्या के मामले में अभियुक्त हैं। मोहन व अन्य पर भीड़ को कृष्णया की हत्या करने के लिए उकसाने का आरोप था।
निचली अदालत ने तीन अक्टूबर, 2007 को मोहन सहित तीन अभियुक्तों को मृत्युदंड व चार अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। निचली अदालत ने 29 अन्य अभियुक्तों को बरी कर दिया था।
पटना उच्च न्यायालय ने मोहन की ओर से दायर की गई एक अपील पर उनकी दोषसिद्धि को सही ठहराया था लेकिन उनकी सजा मृत्युदंड से कम कर उम्रकैद कर दी थी।