11 जुलाई 2012
नई दिल्ली। केंद्रीय संस्कृति मंत्री कुमारी शैलजा ने मंगलवार को बताया कि गांधी-कालेनबाख अभिलेखों का अधिग्रहण करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस समझौते के बाद इन अभिलेखों को भारत लाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अधिगृहीत सामग्री को यहां के राष्ट्रीय अभिलेखागार में रखा जाएगा। इस समझौते को विदेश मंत्रालय और राष्ट्रीय अभिलेखागार से परामर्श के बाद अंतिम रूप दिया गया। समझौते पर सम्बद्ध तीन पक्षों- भारत सरकार, सोथबी और सारिद परिवार ने दस्तखत किए हैं। इसके लिए 825,250 पाउंड की राशि नीलामीकर्ता सोथबी को जारी की गई है और इन अभिलेखों को नीलामी से हटाकर भारत सरकार को बेच दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि प्रोफेसर रामचंद्र गुहा और सुनील खिलनानी की ओर से गांधी-कालेनबाख दस्तावेजों के ऐतिहासिक महत्व के बारे में व्यक्त राय के मद्देनजर उन्हें हासिल करने की कोशिश की गई। ये दस्तावेज हर्मन कालेनबाख की प्रपौत्री डॉक्टर इरा सारिद के पास थे। सारिद परिवार ने इन अभिलेखों की कीमत 50 डॉलर लगाई। भारत सरकार ने यह पेशकश विचारार्थ स्वीकार कर ली। आखिरकार इसके लिए 825,250 पाउंड की राशि तय हुई।
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार, अभिलेखीय सामग्री की प्रमाणिकता और उसके ऐतिहासिक महत्व का आकलन करने के लिए राष्ट्रीय अभिलेखागार के महानिदेशक प्रोफेसर मुशीरूल हसन के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति लंदन के नीलामीकर्ता सोथबी के पास भेजी गई।
सामग्री के ऐतिहासिक महत्व के मद्देनजर समिति ने सुझाव दिया था कि सभी अभिलेखों के अधिग्रहण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सोथबी के साथ विचार-विमर्श के बाद समस्त गांधी-कालेनबाख अभिलेखीय सामग्री के लिए अंतिम पेशकश की गई और यह करार तय हो गया।