11 जुलाई 2012
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को लगातार तीसरी बार देश का सबसे प्रतिस्पर्धी शहर चुना गया है, जबकि वाणिज्यिक राजधानी मुम्बई इस मामले में दूसरे स्थान पर है। एक अंतर्राष्ट्रीय थिंक टैंक की बुधवार को जारी हुई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। 'इंडिया सिटी कॉम्पिटीटिवनेस रिपोर्ट-2012' में चेन्नई, हैदराबाद व कोलकाता क्रमवार तरीके से शुरुआती पांच प्रतियोगी शहरों में शामिल हैं। 'इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटीटिवनेस' (आईएफसी) ने इस रिपोर्ट को तैयार किया है। आईएफसी व्यवसायिक व सरकारी इस्तेमालों के लिए इस तरह के अध्ययन करता है।
सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली हेसिन की यात्रा के दौरान बुधवार को यहां जारी हुई रिपोर्ट में कहा गया है, "फरीदाबाद के विकास के साथ उसकी रैंक में नाटकीय ढंग से सुधार आया है। उसे 29वां स्थान मिला है। इसी तरह गुवाहाटी की रैंक में भी बहुत सुधार आया है।"
'इंडिया सिटी कॉम्पिटीटिवनेस रिपोर्ट' का पांचवां संस्करण हॉर्वर्ड बिजनेस स्कूल के बिशप विलियम लॉरेंस विश्वद्यालय के प्रोफेसर व प्रबंधन गुरु माइकल ई. पॉर्टर द्वारा स्थापित मॉडल पर आधारित है।
रिपोर्ट में दिल्ली के सम्बंध में कहा गया है कि इस शहर ने मांग व विकास में बराबर का संतुलन बिठाकर एक निश्चित अवधि के दौरान अभूतपूर्व विकास का प्रदर्शन किया है। प्रशासनिक और संस्थागत सहयोग के दो क्षेत्रों में यह शहर पिछड़ रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक नोएडा एक और शहर है, जो दिल्ली के बहुत नजदीक है। अब यह शहर मेट्रो शहरों को टक्कर देने लगा है। वहीं अत्यधिक क्षमताओं वाले पुणे व अहमदाबाद जैसे शहर पिछड़े हैं। वैसे इन दोनों शहरों ने शीर्ष 10 प्रतिस्पर्धी शहरों में अपना स्थान बरकरार रखा है।
छोटे शहरों में कोयम्बटूर, मैसूर, मदुरई और गुवाहाटी जहां रैंकिंग में ऊपर चढ़े हैं वहीं सूरत, लखनऊ, आगरा और इलाहबाद नीचे आए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, "निसंदेह भारतीय शहरों के पास दुनियाभर में अपनी छाप छोड़ने की क्षमता है। इन शहरों का अत्यधिक शहरीकरण और विकास की शैली इसका प्रमाण है।"