19 जुलाई 2012
बॉलीवुड अभिनेता सुनील शेट्टी का टिकट खिड़की पर जलवा ए श्रेणी के सितारों सरीखा भले नहीं है, लेकिन उनकी कोशिश बदस्तूर जारी रहती है। मेरे दोस्त पिक्चर अभी बाकी है से भी सुनील शुट्टी कुछ इसी तरह की कोशिश कर रहे हैं। हल्के फुल्के मनोरंजन वाली इस फिल्म से सुनील शेट्टी को उम्मीद है कि वो बॉक्स ऑफिस पर धमाल माचने में कामयाब रहेंगे। हाल में भोपाल में फिल्म प्रमोशन के सिलसिले में पहुंचे सुनील शेट्टी ने इस बात का जिक्र भी किया।
वैसे, फिल्म की कहानी सुनील शेट्टी के इर्दगिर्द ही घूमती है। वीडियो लाइब्रेरी चलाने वाले अमर जोशी (सुनील शेट्टी) का सपना है कि वह फिल्म मेकर बने। घर वालों के मना करने के बावजूद एक दिन वह लाइब्रेरी बेचकर लंदन के फिल्म इंस्टीट्यूट में एडमिशन लेता है और फिल्म मेकिंग के गुर सीखता है। वहां से वह सीधे मुंबई अपने दोस्त सूरज (राजपाल यादव) के यहां पहुंचता है जो छोटे-मोटे रोल करता है।
मुंबई की फिल्मी दुनिया का रंगीन लेकिन त्रासदीपूर्ण वर्णन फिल्म में दिखाया गया है। मुंबई आने पर अमर को काम नहीं मिलता। उसके सपने चूर चूर होने लगते हैं। कोई निर्माता उसे अपनी फिल्म निर्देशित करने के लिए नहीं देता। आखिर में अमर को सहारा मिलता है मोंटी से। मोंटी चड्ढा (राकेश बेदी) पीआर एजेंसी चलाता है और उसे लगता है कि अमर में अच्छा फिल्म निर्देशक बनने के सारे गुण हैं। वह उसके लिए फिल्म प्रोड्यूस करने के लिए तैयार हो जाता है।
फिल्म बनना शुरु होती है तो पहली समस्या हीरोइन को लेकर होती है। मोंटी और अमर बॉलीवुड की सबसे टॉप अभिनेत्री को अपनी फिल्म के लिए चुनते हैं। वे मोहिनी (उदिता गोस्वामी) को साइन करते हैं। मोहिनी की अपनी अदाएं,जलवें और नखरे हैं। अमर वह सब सहन करता है क्योंकि उसका करियर दांव पर है। फिल्म शुरु होती है तो अमर का उत्साह देखते बनता है। लेकिन कुछ दिनों बाद मोंटी गायब हो जाता है और फिल्म रूक जाती है। अमर के पास एक दिन सुदामा भोसले (दीपक शिर्के) का फोन आता है जो कि एक डॉन है।
सुदामा का पैसा फिल्म में लगा हुआ है और वह अमर को फिल्म जल्दी पूरी करने की धमकी भी देता है। साथ ही वह अपनी गर्लफ्रेंड टीना (मुमैत खान) को भी फिल्म में हीरोइन बनवा देता है। दबाव में आकर अमर फिल्म शुरू करता है, लेकिन सुदामा का मर्डर हो जाने के बाद फिल्म फिर रूक जाती है।
अचानक गायब हुआ मोंटी आ जाता है और फिल्म फिर से शुरू होती है। स्क्रिप्ट में हुई फेरबदल से मोंटी नाखुश है। वह बॉलीवुड के बेहतरीन लेखक मिस्टर बेग (ओम पुरी) के पास अमर को ले जाता है और स्क्रिप्ट में कुछ बदलाव करने के लिए कहता है। मिस्टर बेग पूरी स्क्रिप्ट ही बदल डालते हैं।
दरअसल, बॉलीवुड की ज्यादातर मसाला फिल्मों की मेकिंग पर फिल्म एक कटाक्ष करती है। यह फिल्म उन लोगों को बहुत पसंद आ सकती है,जो बॉलीवुड से किसी न किसी तरह जुड़े हुए हैं या जुड़ना चाहते हैं।