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अच्छी फिल्म की असफलता से दुख होता है : तुषार

21 जुलाई 2012

मुम्बई। अभिनेता तुषार कपूर को अच्छी फिल्मों का खराब प्रदर्शन दुखी कर देता है। तुषार ने कहा, "अगर कोई फिल्म वास्तव में खराब है, तो मुझे उतना बुरा नहीं लगता। लेकिन अगर कोई फिल्म अच्छी है और उसे बनाते समय ढेर सारे मुद्दे जुड़ जाते हैं या फिर वह ठीक से प्रदर्शित नहीं हो पाती, तो मुझे बुरा लगता है। ऐसे में मैं अवसाद में हो जाता हूं।"


अभिनेता जितेंद्र के बेटे तुषार ने 2001 में अपने फिल्मी करियर की शुरुआत फिल्म 'मुझे कुछ कहना है' से की थी। उसके बाद उन्होंने 'क्या दिल ने कहा', 'जीना सिर्फ मेरे लिए' , 'गोलमाल' और 'शोर इन द सिटी' जैसी फिल्मों में काम किया। लेकिन इस 35 वर्षीय अभिनेता पर आलोचक कम ही मेहरबान रहे हैं।


तुषार ने इस बारे में कहा, "मुंह से निकले शब्द काफी महत्वपूर्ण होते हैं। अगर फिल्म को इज्जत मिलती है और अगर आलोचक इसे अच्छे नम्बर देते हैं, तब यह बहुत अच्छा होता है। कभी-कभी वह भी गलत होते हैं।"


तुषार ने कहा, "विशुद्ध रूप से व्यावसायिक फिल्म को अच्छी रेटिंग मिल जाती है और एक रोचक फिल्म को अच्छी रेटिंग नहीं मिलती। आखिर में यह महज एक नजरिया होता है।"


तुषार 27 जुलाई को प्रदर्शित हो रही अपनी फिल्म 'क्या सुपर कूल हैं हम' के प्रदर्शन का इंतजार कर रहे हैं।


अपनी इस फिल्म के बारे में तुषार ने कहा, "आप इसे एकान्तर फिल्म कह सकते हैं। यह एक अलग मिजाज वाली हास्य फिल्म है। इसलिए इसकी चकित कर देने वाली चीजें सम्भवत: इस फिल्म के अच्छे के लिए काम कर रही हैं। कुछ लोगों ने इसकी नकल करने की कोशिश की लेकिन वे असफल रहे।"


सचिन यार्डी द्वारा निर्देशित इस फिल्म में तुषार के साथ अभिनेता रितेश देशमुख, अभिनेत्री सारा जेन-डायस और नेहा शर्मा हैं।

 


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