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खो रही है फिल्म निर्माण की विशेष पहचान : कपूर

1 अगस्त 2012

मुंबई। फिल्मकार शेखर कपूर मानते हैं कि प्रौद्योगिकी ने फिल्म निर्माण को आसान कला बना दिया है। उन्होंने कहा कि यदि आप फोन के जरिए एक वीडियो शूट कर सकते हैं तो आप फिल्मकार हैं।

कपूर ने कहा, "फिल्म निर्माण की प्रक्रिया एकदम बदल गई है। आप अपने वीडियो अपलोड कर सकते हैं और हो सकता है कि उसे 7.5 करोड़ बार देखा जाए। इतने लोग तो थियेटर में भी फिल्में देखने नहीं पहुंचते। देश में केवल 12,000 थियेटर हैं। इसलिए मुझे लगता है कि फिल्म निर्माण की प्रक्रिया में बदलाव आ रहा है और इसकी विशेष पहचान खोती जा रही है।"

कपूर ने 1983 में फिल्म 'मासूम' से निर्देशन की शुरुआत की थी। बाद में उन्होंने 'बैंडिट क्वीन', 'मि. इंडिया' और 'एलिजाबेथ' जैसी सफलतम फिल्में बनाईं।

उन्होंने फिल्म निर्माण के लिए कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं लिया है लेकिन वह कहते हैं कि उनमें इसके लिए जुनून है।

उन्होंने कहा, "मेरे समय में फिल्म निर्माण एक बड़ी बात होती थी। तब 35 मिलीमीटर की फिल्म पर शूटिंग करनी होती थी। शूटिंग के लिए फिल्म का इंतजाम करना पड़ता था। इसके बाद प्रदर्शन के लिए वितरकों और थियेटर्स के चक्कर काटने पड़ते थे।"

कपूर ने कहा, "आज यदि आप फिल्मकार बनना चाहते हैं तो आपको केवल एक फोन की जरूरत होगी। आपको अन्य चीजों की जरूरत नहीं होती। सौभाग्य से नई पीढ़ी की ये जरूरतें प्रौद्योगिकी से पूरी हो जाती हैं और वे इसका इस्तेमाल करते हैं।"

 


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