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दिल की सुनती हैं संगीतकार स्नेहा

14 अगस्त 2012

मुम्बई। संगीतकार स्नेहा खानवल्कर संगीत के मामले में रिवाजों पर नहीं चलती बल्कि अपने दिल का कहा मानती हैं। यही वजह है कि फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' का संगीत लोगों के दिलों को छूता है। स्नेहा ने इस फिल्म के लिए स्थानीय लोक गायकों के साथ काम कर और खुद की रचनाशीलता के जरिए समसामयिक संगीत बनाया।


उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्होंने कोई शोध नहीं किया बल्कि फिल्म की कहानी से गुजरती गईं और उसके विषय के अनुरूप संगीत बुना।


स्नेहा ने कहा, "मैंने शोध नहीं किया। ऐसा नहीं है कि मैंने बहुत सी चीजें इकट्ठी की हों और फिर बौद्धिकता के साथ तय किया हो कि संगीत कैसा होगा। मैंने बस ऐसे ही यह तय कर लिया।" उन्होंने फिल्मकार अनुराग कश्यप की दो भागों में बनी 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' के 'कह के लूंगा', 'वूमेनिया' व 'हंटर' गीतों में संगीत दिया है।


उन्तीस वर्षीया स्नेहा पुरुषों के वर्चस्व वाले बॉलीवुड में अपनी खास जगह बनाने वाली कुछ महिलाओं में शामिल हैं।


वह मानती हैं कि संगीतकार को स्थानीय होकर सोचना चाहिए और विश्व स्तर का संगीत रचना चाहिए।


उन्होंने कहा, "यदि कोई गीत किसी एक स्थान पर आधारित हो, तो उस जगह की अपनी कोई खासियत होगी। लोगों के बातचीत करने व सोचने के अपने तरीके हैं, जो किसी विशेष शहर के सम्बंध में हमारी सोच से अलग होते हैं। इसलिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि वे किस तरह गाते हैं और संगीत देते हैं।" उन्होंने कहा कि इसके लिए बहुत जरूरी है कि आप उस स्थान से वाकिफ हों, जिसके लिए आपको संगीत रचना है।


स्नेहा का संगीत गैर परम्परागत महसूस होता है। इस पर उन्होंने कहा, "शायद आप कहेंगे कि मेरे सभी गीत अलग हैं लेकिन मुझे लगता है कि हर गीत पहले गीत जैसा ही तो है। उदाहरण के तौर पर यदि मुझे किसी गीत में बदला लेने का भाव जाहिर करना हो तो मेरा गीत औरों से एकदम अलग होगा। मैं 'कह के लूंगा' जैसा गीत बनाऊंगी, जो औरों से अलग होगा।"


स्नेहा ने 2005 में 'कल: यस्टरडे एंड टुमॉरो' फिल्म से बॉलीवुड में शुरुआत की थी।

 


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