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चरित्र अभिनेताओं को नहीं मिलती महत्वपूर्ण भूमिका : ओम पुरी


24 सितम्बर 2012

अनुभवी अभिनेता ओमपुरी का कहना है कि चरित्र अभिनेताओं को उचित देय नहीं मिलता। भारतीय सिनेमा में उनकी आवश्यकता केवल मुख्य अभिनेता की भूमिका को सशक्त करने के लिए होती है। ओम पुरी ने कहा, "ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि चरित्र अभिनेताओं को महत्वपूर्ण भूमिका मिलती है। वे अभिनेता के कद को ऊंचा करने वाले चरित्र होते हैं। उनका अपना व्यक्तित्व नहीं होता।"


ओमपुरी ने वर्ष 1970 से 1980 के दशक में 'गोधूलि', 'भूमिका', 'आक्रोश', 'मंडी', 'पार्टी' तथा 'मिर्च मसाला' जैसी अलग तरह की फिल्मों और 'चाची 420', 'हेरा फेरी' व 'मालामाल वीकली' जैसी हास्य प्रधान फिल्मों में भी अभिनय कर चुके हैं। लेकिन 61 वर्ष की उम्र में अब उनकी पसंद बेवकूफाना हास्य से बदलकर व्यंग्यात्मक हो गई हैं।


'आरोहण' व 'अर्ध सत्य' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुके ओमपुरी ने कहा, "मैं सिर्फ हास्य के लिए हास्य पसंद नहीं करता। मुझे 'मालामाल वीकली' पसंद आया, क्योंकि इसमें साफ-सुथरा मनोरंजन था, जबकि 'बुड्ढा मर गया' जैसी फिल्में बेहद खराब थीं। उस तरह का हास्य घटिया था। 'चाची 420' साफ-सुथरी फिल्म थी, इसमें हालांकि कोई संदेश नहीं था। मुझे 'बॉलीवुड कॉलिंग' भी पसंद आई। लेकिन मैं व्यंग्य पसंद करता हूं।"


उन्हें लगता है कि बॉलीवुड को अच्छे अभिनेताओं की आवश्यकता है, न कि सिर्फ सुपरस्टार की। उन्होंने कहा, "सुपरस्टार के बगैर भी फिल्में अच्छी चलती हैं। 'विक्की डोनर' में कोई नामचीन चेहरा नहीं था, फिर भी फिल्म चली।"


ओम पुरी की अगली फिल्म प्रियदर्शन की 'कमाल धमाल मालामाल' है, जो 28 सितम्बर को प्रदर्शित होने जा रही है। उन्होंने कहा, "सेट पर खूब मजा आया। नाना पाटेकर बहुत मजाकिया इंसान हैं। मैं उनके साथ 30 वर्षो बाद काम कर रहा हूं।"


फिल्म में अपने किरदार के बारे में ओम पुरी ने बताया, "फिल्म में मुख्य भूमिका श्रेयस तलपड़े की है। मैं उनके पिता का किरदार निभा रहा हूं। वह हंसना पसंद नहीं करते, बल्कि वह एक बुजुर्ग व गुस्सैल व्यक्ति हैं और उनका यही स्वभाव उनके बेटे को पसंद नहीं है।"


 


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