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'ओह माई गॉड' के बचाव में आए परेश


3 अक्टूबर 2012

मुम्बई।  धर्म के कर्मकांडी स्वरूप पर प्रहार करती उमेश शुक्ला की फिल्म 'ओह माई गॉड' का विरोध हो रहा है। लेकिन फिल्म के सह निर्माता एवं मुख्य भूमिका निभाने वाले परेश रावल को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।


यह फिल्म गुजराती नाटक 'कांजी विरुद्ध कांजी' पर बनाई गई है जिसमें परेश नास्तिक बने हैं।


परेश ने कहा, "विरोध का कोई डर नहीं था। हमें अच्छी तरह मालूम था कि हम धार्मिक कर्मकांड के बारे में क्या कह रहे हैं और क्या बना रहे हैं और यह किस तरह आम आदमी के जीवन को नियंत्रित करता है?"


परेश ने कहा, "मैंने गुजराती और हिंदी में इसी कहानी पर हजारों दर्शकों के सामने 150 बार मंचन किया गया। यह नाटक पंजाबी और अंग्रेजी में भी किया गया है। हमें कभी भी किसी विरोध का सामना नहीं करना पड़ा।"


उन्होंने कहा, "नाटक के दौरान दर्शक अपनी नापसंदगी आसानी से व्यक्त कर सकते हैं। हमने एक बार भी विरोध का सामना नहीं किया। इसलिए, हम जानते थे कि हम फिल्म को लेकर अच्छी स्थिति में हैं। किसी भी नाटक में कोई जूता नहीं फेंका गया। नाटक के बाद पुरानी और नई पीढ़ी के दर्शकों ने इसकी सराहना की।"


परेश फिल्म को लेकर हो रहे प्रदर्शन से परेशान नहीं हैं।

 

62 वर्षीय परेश ने कहा, " हमने पंजाब में भी हर जगह फिल्म प्रदर्शित की। प्रदर्शनकारी क्या चाहते हैं उसे देखा और सुना जा रहा है। अगर हमें प्रदर्शनकारियों द्वारा डराया जाता है, तो हम रंगमंच, टेलीविजन या सिनेमा जैसे दृश्य माध्यम के प्रभाव का विस्तार नहीं कर सकेंगे। "


हालांकि, वास्तविक जिंदगी में भगवान में विश्वास करन वाले परेश को धर्म को सामान के रूप में बेचे जाने का अफसोस है।


यह भी कहा जा रहा है कि फिल्म के सह निर्माता एवं अभिनेता अक्षय कुमार के कारण इस फिल्म का कथानक इस तरह का बना लेकिन परेश उन्हें क्लीन चिट देते हैं।


 


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