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संगीत जगत ने दी जगजीत सिंह को श्रद्धांजलि

11 अक्टूबर 2012


मुम्बई। प्रसिद्ध गजल गायक जगजीत सिंह को उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर भारतीय संगीत जगत की अग्रणी शख्सियत शंकर महादेवन, लेस्ले लेविस से लेकर भजन गायक अनूप जलोटा तक ने बुधवार को श्रद्धांजलि दी।


जगजीत सिंह का पिछले वर्ष मस्तिष्क में रक्तास्राव (ब्रेन हेमरेज) के कारण निधन हो गया था।


गायक एवं संगीतकार शंकर महादेवन ने याद किया कि जगजीत सिंह किस तरह उनके कार्य की प्रशंसा करते थे और वे एक-दूसरे को कितना सम्मान देते थे।


जगजीत सिंह की पत्नी एवं गायिका चित्रा सिंह द्वारा यहां बुधवार को देर शाम आयोजित एक कार्यक्रम में 45 वर्षीय महादेवन ने कहा, "इस देश में उन जैसी आवाज किसी के पास नहीं है। उनकी आवाज हमेशा हमारे साथ रहेगी, हम जिंदगी भर उनके गाए गीतों और गजलों को सुनते रहेंगे और आनंद उठाते रहेंगे। उनसे मेरी काफी नजदीकी थी, हमारा बहुत निकट का सम्बंध बन गया था। मैं उन्हें प्यार करता था और वह मुझे प्यार करते थे।"


गायक एवं संगीतकार लेस्ले ने याद किया कि जगजीत सिंह के बहुमूल्य सुझाव की वजह से उनका एक सर्वाधिक प्रिय गीत किस तरह संवर गया।


लेस्ले ने कहा, "बहुत समय पहले मैं एक गीत की रिकार्डिग करवा रहा रहा था और मेरे बाद जगजीत सिंह की बारी थी। जब मैं गीत में मिक्सिंग कर रहा था तो जगजीत अंदर आए और बोले कि गिटार बहुत धीमा है, उसे तेज करो। मैं इसे तेज करना नहीं चाहता था लेकिन उन्होंने कहा कि यही गीत मजा है। वह गीत था परी हूं मैं..।"


भजन गायक अनूप जलोटा गजल सम्राट को सम्मान देने आए लोगों की तादाद देखकर बहुत खुश थे।


59 वर्षीय जलोटा ने कहा, "मैं यह देखकर खुश हूं कि इतने लोग उन्हें याद कर रहे हैं और इतना प्यार दे रहे हैं कि लगता ही नहीं कि वह यहां नहीं हैं, आप उनकी गैरमौजूदगी महसूस नहीं कर सकते।"


उन्होंने कहा, "मैंने उनके साथ बहुत आनंद उठाया और उनके दुनिया छोड़ने से पहले हमने देहरादून में दो दिन साथ बिताए थे। इसलिए मैं उन्हें कभी नहीं भुला सकता। मुझे उनका आशीर्वाद और सहयोग मिलता था।"


जगजीत सिंह ने 1982 में फिल्म 'अर्थ' के सभी गीत गाए। 'झुकी झुकी सी नजर', 'तुम इतना जो', 'कोई ये कैसे बताए' और 'तेरी खुशबू में बसे खत' जैसे गीतों ने उन्हें प्रसिद्धि दिलाई। 1982 में ही बनी 'फिल्म' के गीत 'ये तेरा घर ये मेरा घर', 'तुमको देखा तो ये ख्याल आया' सबकी जुबां पर चढ़ गए। उनकी गाई गजलें 'ये कागज की कश्ती', 'होश वालों को खबर क्या', 'चिट्ठी ना कोई संदेश' को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

 


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