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''मैं संतुष्ट हो जाऊं तो खुद को रचनात्मक तौर पर मृत मानूंगा":अमिताभ बच्चन

20 अक्टूबर 2012


मुम्बई। महानायक अमिताभ बच्चन ने अपने 43 साल के फिल्मी करियर में 180 में ज्यादा फिल्में की हैं और उन्हें कई राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा गया है लेकिन इसके बावजूद वह संतुष्ट नजर नहीं आते।


अमिताभ ने कहा, "मुझे लगता है कि हर अभिनेता चाहेगा कि कुछ चुनौतियां हमेशा बरकरार रहें। अगर मैं संतुष्ट हो जाऊं तो खुद को रचनात्मक तौर पर मृत मानूंगा।"


उन्होंने कहा, "मेरे ख्याल से किसी भी कलाकार को संतुष्ट नहीं होना चाहिए क्योंकि हमेशा कुछ न कुछ नया करने के लिए होता है, ऐसी चीजें होनी चाहिए जिसमें चुनौती हो। मैं उम्मीद करता हूं यहां ऐसे फिल्मकार हैं जो मेरे सामने चुनौतियां रखेंगे, जो ऐसी कहानी लिखेंगे और ऐसे किरदार चुनेंगे जो मुझे उत्साहित करेंगे और यह बात मुझे उनमें काम करने के लिए उकसाएगी। इसलिए मैं कहता हूं कि मैं कभी भी संतुष्ट न होने की उम्मीद करता हूं।"


अमिताभ ने अपने करियर में सफलता-असफलता दोनों चीजें देखी हैं। लेकिन उनका कहना है कि उन्हें पीछे मुड़कर देखना पसंद नहीं है। उन्होंने कहा, "मैं बीती हुई चीजों को देखने में समय खर्च नहीं करता। मैं इसे याद रखता हूं, लेकिन मुझे इसे देखने का उद्देश्य समझ नहीं आता। मुझे उन पलों को देखना चाहिए जो अपमानजनक, उतार-चढ़ाव और नकारात्मकता से भरे थे जिससे मैं कुछ सीख सकूं। अगर मैं इन चीजों से भविष्य में कुछ सीखने में सफल रहा तो मुझे खुशी होगी।


अमिताभ ने 'जंजीर', 'दीवार', 'शोले' और 'शक्ति' में बेहतरीन किरदार किए हैं लेकिन उनका मानना है कि कोई भी किरदार छोटा या बड़ा नहीं होता।


उन्होंने कहा, "ये सभी कठिन किरदार हैं। हर दिन मेरे लिए एक इम्तहान है। यह एक परीक्षा है। कोई किरदार न तो छोटा होता है न बड़ा होता है सब परीक्षाएं एक बराबर हैं। मैं इसे ऐसे ही देखता हूं।"

 

 


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