25 अक्टूबर 2012
मुम्बई। फिल्म निर्देशक आशुतोष गोवारिकर का मानना है कि अगर भारतीय फिल्मकार अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बड़ी छलांग लगाना चाहते हैं तो उन्हें एक्शन, नाटकीयता और रोमांच जैसे विश्व प्रसिद्ध तौर तरीकों को अपनाना चाहिए। 14वें 'मुम्बई फिल्म फेस्टिवल्स ओपन फोरम' में 48 वर्षीय गोवारिकर ने कहा, "हमारी विधा गाना और नृत्य है, वास्तव में संगीत, प्रेम कहानी आधारित फिल्मों का बाजार में पांच प्रतिशत ही प्रभुत्व है। एक्शन, नाटकीयता और रोमांच सबसे ज्यादा चर्चित वैश्विक विधा है।"
गोवारिकर का मानना है कि फिल्म की भाषा से भी फर्क पड़ता है।
उन्होंने कहा, "अगर हमारे पास ये विधाएं अंग्रेजी में उपलब्ध हों, जिसकी वैश्विक पहुंच है, तब हम वैसी छलांग लगा सकते हैं। लेकिन अगर हम सिर्फ अपनी निजी फिल्मों और संगीत पर ध्यान देंगे तो यह मुश्किल हो जाएगा। इसे नयेपन के साथ स्वीकारा जा सकता है लेकिन हम ऐसी छलांग के लिए तैयार नहीं होंगे।"
गोवारिकर की पिछली फिल्म 2010 में प्रदर्शित हुई 'खेलें हम जी जान से' थी। इसके अलावा उन्होंने 'लगान', 'स्वदेश' और 'जोधा अकबर' जैसी फिल्मों का भी निर्देशन किया है।