1 मार्च 2013
मुम्बई। बॉलीवुड सितारे जॉन अब्राहम का कहना है कि उनकी अगली फिल्म 'मद्रास कैफे' अंतर्राष्ट्रीय स्तर की फिल्म है। उन्होंने कहा कि उनका स्टूडियो इसे भारत की 'आर्गो' कहता है। चालीस वर्षीय जॉन गुरुवार को यहां 'स्टार वीक' पत्रिका के मुखपृष्ठ का अनावरण कर रहे थे। मुखपृष्ठ पर उन्हीं की तस्वीर है। इस मौके पर उन्होंने कहा, "मेरे स्टूडियो ने दो दिन पहले फिल्म के कुछ हिस्से देखे और कहा कि इस फिल्म से जुड़ने के अवसर के लिए शुक्रिया यह भारत की 'आर्गो' है।"
जॉन ने कहा, "मेरे मुताबिक 'मद्रास कैफे' एक अंतर्राष्ट्रीय फिल्म है जिस पर भारत गर्व कर सकता है और कह सकता है कि हम भी इस तरह की फिल्म बनाते हैं।
बेन एफलेक निर्देशित 'आर्गो' 1979 के ईरान बंधक संकट के बारे में है। यह फिल्म ऑस्कर के लिए सात वर्गों में नामांकित हुई थी और इसने सर्वश्रेष्ठ संपादन, पटकथा और फिल्म का पुरस्कार जीता।
जॉन पश्चिमी देशों में बॉलीवुड फिल्मों की रुढ़िवादी छवि बदलना चाहते हैं। उन्होंने कहा, "अमूमन हमें अपनी फिल्मों पर बहुत गर्व रहता है, मुझे 'गोलमाल' और 'हाउसफुल' जैसी फिल्मों में मजा आया क्योंकि ऐसी फिल्में देखकर हंसी आती है। लेकिन जब हम बाहर जाते हैं तो हमारी फिल्मों पर विशिष्ट रूप से बॉलीवुड फिल्मों का ठप्पा लग जाता है और वे हास्यास्पद बन जाती हैं। मैंने 'मद्रास कैफे' से इस छवि को तोड़ने की कोशिश की है। मैं इसे पश्चिमी देशों को दिखाना चाहता हूं और कहना चाहता हूं कि ये अगर आपकी फिल्मों से बेहतर नहीं है तो बुरी भी नहीं है।"
जॉन ने इस फिल्म को पूरे उत्तरी अमेरिका और यूरोप में रिलीज करने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा, "मैं 'मद्रास कैफे' को सिर्फ उन देशों में ही रिलीज नहीं करूंगा जहां भारतीयों की आबादी है, मैं इसे पूरे उत्तरी अमेरिका में रिलीज करूंगा। मुझे लगता है कि ये 'एमोरेज पेरोज' या किसी ओर अंतर्राष्ट्रीय फिल्म की तरह है। मेरी इस फिल्म को पेरामाउंट के साथ रिलीज करने की योजना है।"
इस फिल्म में जॉन ने एक सैन्य अधिकारी की भूमिका की है जो बाद में गुप्तचर एजेंसी रॉ में शामिल हो जाता है। उसे जाफना ले जाया जाता है जहां वह निजी और पेशेवर जीवन में संतुलन बनाने की कोशिश करता है।
सुजीत सरकार निर्देशित इस फिल्म में नरगिस फाकरी भी हैं और ये अगस्त में रिलीज होगी।