25 मार्च 2013
मुंबई। पाकिस्तान के महान गजल गायक गुलाम अली अपने जीवन के उतार-चढ़ावों के साथ फिर से अपने चाहने वालों के बीच आ रहे हैं। इस बार ये उतार-चढ़ाव उनकी स्वर लहरियों के जरिए नहीं, बल्कि उनके जीवनवृत्त के रूप में सामने आई है। 'गजल विजार्ड-गुलाम अली' शीर्षक से गुलाम अली के जीवनवृत्त को दो भारतीय लेखकों, भवेश सेठ तथा साधना जेजुरिकर ने कलमबद्ध किया है।
गजल की दुनिया के सरताज गुलाम अली ने कहा, "जीवनी पूरी हो जाने पर बहुत अच्छा लग रहा है। जब मैं इस दुनिया में नहीं रहूंगा तो लोग इस किताब के जरिए मुझे याद रखेंगे। यह बहुत ही सुखद अहसास है। बचपन से लेकर अब तक की मेरे जीवन की कई बातों का खुलासा इस पुस्तक में हुआ है।"
वर्तमान संगीत से गजल की परंपरा समाप्त होती दिख रही है, लेकिन गजल के चाहने वाले आज भी गुलाम अली की गाई गजलें 'चुपके-चुपके रात दिन..', 'हंगामा है क्यों बरपा..' और 'अपनी धुन में..' के दीवाना हैं और रहेंगे।