29 जुलाई 2013
मुंबई|
अस्सी के दशक में अभिनय करने वाली राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेत्री नीना गुप्ता का कहना है कि मनोरंजन जगत में उम्रदराज अभिनेत्रियों के लिए गुंजाइश नहीं हैं। उनका कहना है कि वह पर्दे पर कम दिखती हैं क्योंकि यहां
उनके जैसे लोंगों के लिए पर्याप्त मौके नहीं हैं। एक साक्षात्कार में 54 वर्षीया नीना ने आईएएनएस से कहा, "भारतीय परिवारों में उम्रदराज महिला, बेकार महिला है। इसी तरह उम्रदराज अभिनेत्रियों को मुश्किल से कोई किरदार मिलता है। यह समाज का प्रतिबिंब है। मैं
इस उम्र में अभिनय से ज्यादा उम्मीद नहीं रखती।"
नीना ने 1983 में आई 'जाने भी दो यारों' में अभिनय से ही अपनी पहचान बना ली थी। इसके बाद वर्ष 1994 में 'वो छोकरी' में सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित नीना ने 'गांधी', 'द डिसीवर्स' और 'कॉटन मेरी' जैसी
अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों में भी काम किया।
वह हाल ही में मनीष तिवारी निर्देशित 'इसक' में बड़े पर्दे पर नजर आई हैं, जिसमें उन्होंने चुनौतीपूर्ण किरदार निभाया है।
'खलनायक' के 'चोली के पीछे' गाने में माधुरी दीक्षित के साथ नृत्य करने वाली नीना का कहना है कि किरदारों के लिए उनका निर्धारित मानदंड नहीं है।
नीना ने कहा, "मेरा कोई मानदंड नहीं है। अगर मुझे कुछ अच्छा लगता है और यह चुनौतीपूर्ण है तो मैं इसे करूंगी। मैं ज्यादा नहीं सोचती।"