19 अगस्त 2013
लखनऊ|
प्रख्यात भोजपुरी गायक एवं अभिनेता मनोज तिवारी ने आरोप लगाया है कि संवैधानिक संस्थाओं द्वारा भोजपुरी भाषा और उनके खिलाफ सुनियोजित साजिश रची जा रही है। तिवारी ने साफ तौर पर कहा कि मालिनी अवस्थी को बिहार भोजपुरी अकादमी का ब्रांड अम्बेसडर बनाया जाना भी इसी का हिस्सा है।
तिवारी ने आईएएनएस को दिए गए साक्षात्कार में भोजपुरी भाषा और उनके जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से बातचीत की।
तिवारी ने स्वीकार किया कि बिहार और उप्र की सरकार द्वारा भोजपुरी भाषा के लिए उस तरह के कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, जितना उठाया जाना चाहिए।
तिवारी से यह पूछे जाने पर कि उन्होंने सरकार द्वारा दिया गया सम्मान क्यों लौटा दिया, तो उन्होंने कहा, "यह देखकर काफी दुख होता है कि भोजपुरी भाषा के साथ संवैधानिक संस्थाओं द्वारा सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। अवधी भाषा से जुड़ी मालिनी अवस्थी को बिहार भोजपुरी अकादमी का ब्रांड अम्बेसडर बना दिया गया। भोजपुरी कलाकारों के लिए इससे बड़ी शर्मनाक बात और क्या हो सकती है।"
उन्होंने कहा, "भरत शर्मा, शारदा सिन्हा और रविकिशन जैसे मशहूर और नामी कलाकारों के होने के बावजूद उनकी उपेक्षा की गई। इससे मैं व्यक्तिगत रूप से बहुत आहत हूं, इसीलिए मैंने बिहार सरकार द्वारा दिए गए अब तक के सभी सम्मानों को वापस लौटा दिया है।"
तिवारी कहते हैं, "पद्म श्री जैसा प्रतिष्ठित पुरस्कार पा चुकीं शारदा सिन्हा जैसी शख्सियत क्या किसी परिचय का मोहताज हैं। क्या बिहार भोजपुरी अकादमी को उनकी याद नहीं आई। सवाल मेरा या शारदा सिन्हा का नहीं है, बल्कि सवाल यह है कि भोजपुरी के दिग्गज कलाकरों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया जा रहा है।"
आगे की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर तिवारी ने कहा, "बिहार भोजपुरी अकादमी के अध्यक्ष यदि अपनी गलती स्वीकार कर लेते हैं तो मैं अपना लौटाया हुआ सम्मान वापस ले लूंगा।"
तिवारी ने कहा कि सबसे रोचक बात यह है कि बिहार भोजपुरी अकादमी के पास ब्रांड अम्बेसडर नियुक्त किए जाने का अधिकार ही नहीं है। फिर ऐसा कैसे हो गया? इसके बावजूद दो लोगों ने व्यक्तिगत रूप से यह भी आरोप लगाया है कि अकादमी के पदाधिकारी पैसा लेकर सम्मान बांटते हैं। इसकी भी पड़ताल होनी चाहिए कि वह कितना सही बोल रहे हैं।"
तिवारी कहते हैं, "रोचक बात यह है कि मेरा प्रतिनिधि सरकार द्वारा दिया गया सम्मान लेकर पिछले दो दिनों से पटना में टहल रहा है, लेकिन उसे अकादमी में लेने वाला कोई मिल ही नहीं रहा है। कार्यालय तो है, लेकिन कई दिनों से वह खुल ही नहीं रहा है।"
भोजपुरी के स्टार तिवारी ने कहा, "संवैधानिक संस्थाएं भी भोजपुरी भाषा के खिलाफ साजिश रच रही हैं। भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल क्यों नहीं किया जा रहा है। भोजपुरी भाषा से जुड़े कलाकारों को पद्म श्री और अन्य राष्ट्रीय सम्मानों से नवाजे जाने की पहल क्यों नहीं की जाती है। स्थिति साफ है कि यह सब एक गहरी साजिश का हिस्सा है।"
बिहार और उप्र में भोजपुरी भाषा को और सशक्त बनाने के सवाल पर तिवारी ने कहा, "मैंने तो बिहार और उप्र की सरकारों से भी आग्रह किया था कि इन राज्यों को अलग से अपना एक सेंसर बोर्ड बनाना चाहिए, जो यह तय करे कि बिहार और उप्र में कौन-कौन सी फिल्में दिखाए जाने लायक हैं। लेकिन हमारी बातों को अनसुना कर दिया जाता है।"
उन्होंने कहा कि आज भोजपुरी फिल्में 2000 करोड़ रुपये की इंडस्ट्री बन चुकी है, जिसमें गीत-संगीत और सिनेमा हर विधा शामिल है। इतने बड़े उद्योग की अनदेखी कोई नहीं कर सकता।