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सामाजिक बदलाव लाने वाली फिल्में बनाए : राष्ट्रपति
25 सितम्बर 2013
चेन्नई|
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सिने जगत का आह्वान किया कि ऐसी फिल्में बनाई जाएं जो समाज को बदलने और राष्ट्र को नैतिकता के स्तर पर बेहतर बनाने में सहायक हों। राष्ट्रपति मुखर्जी मंगलवार को भारतीय सिनेमा की 100वीं वर्षगांठ के चार दिवसीय जलसे में बोल रहे थे। यह समारोह तमिलनाडु सरकार और साउथ इंडियन फिल्म चैंबर ऑफ कामर्स के द्वारा आयोजित किया गया था।

एक बयान के मुताबिक मुखर्जी ने कहा कि सिनेमा जन संचार का लोकप्रिय और शक्तिशाली माध्यम है। देश में सिनेमा देखने वालों की तादाद काफी है। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि मनोरंजन और सामाजिक उत्तरदायित्व के बीच संतुलन बनाकर रखा जाए।

राष्ट्रपति ने समारोह में विभिन्न फिल्म उद्योगों से जुड़े 41 हस्तियों को सम्मानित भी किया। उन्होंने कहा, "हाल के समय में महिलाओं और बच्चों के प्रति बढ़ते अपराधों ने राष्ट्र की चेतना को झकझोर दिया है। हाल ही में हम देश के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक दंगों की त्रासदी से भी गुजरे हैं। हमें अपने नैतिकता और अपने उसूलों को फिर से जीवित करने और अपनाने के रास्ते ढूंढ़ने होंगे।"

उन्होंने कहा, "सिनेमा राष्ट्र की नैतिकता को पुनस्र्थापित कर सकता है और उसे करना चाहिए। फिल्म जगत से जुड़े हर व्यक्ति का यह उत्तरदायित्व है कि सहिष्णु और सौहार्द्रपूर्ण राष्ट्र के निर्माण के लिए सिनेमा जैसे शक्तिशाली माध्यम के जरिए समाज में सकारात्मक सामाजिक मूल्यों का चित्रण करें।"

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