19 फरवरी 2014
नई दिल्ली|
गोवा में जन्मे भारतीय मूल के हॉलीवुड कलाकार लवरेंती लोपेज कहते हैं कि भारतीय सिनेमा में काम तलाशना उन जैसे बाहरी व्यक्ति के लिए खासा मुश्किल काम है। लोपेज का कहना है कि भारतीय सिनेमा में भाई-भतीजावाद की परंपरा है।
गोवा में जन्मे और मुंबई में पले-बढ़े लोपेज के माता-पिता भी गोवा के रहने वाले हैं। लोपेज के सपने पूरे करने के लिए उनका परिवार 2007 में न्यूयार्क जाकर बस गया। वहां उनकी किस्मत ने पलटा खाया और उन्हें 'अफगान हाउंड', 'लव, लाइज एंड सीता' और 'डेसपेरेट एंडेवर्स' जैसी फिल्मों में काम करने का मौका मिला।
लोपेज ली स्ट्रैसबर्ग थियेटर के सदस्य रह चुके हैं और जल्द ही हॉलीवुड की फिल्म 'द मैड वंस' में मुख्य भूमिका में नजर आएंगे।
लोपेज ने ई-मेल के जरिए एक साक्षात्कार में आईएएनएस को बताया, "मैं समान संख्या में हॉलीवुड और हिंदी फिल्में देखी है। हिंदी फिल्मों में भाई-भतीजावाद ज्यादा है। चूंकि मैं फिल्मी पृष्ठभूमि से नहीं हूं, तो मैं कभी नहीं जान पाया कि भारतीय सिनेमा जगत में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।"
उन्होंने आगे कहा, "जब बात अमेरिका की आती है, तो यहां सब कुछ आपकी प्रतिभा पर निर्भर करता है। यदि आप भारतीय फिल्म उद्योग और हॉलीवुड में फिल्मी पृष्ठभूमि वाले अभिनेताओं की संख्या की तुलना करेंगे, तो समझ जाएंगे मैं क्या कह रहा हूं।"
लेकिन लोपेज की जिंदगी का एक सच यह भी है कि वह भारतीय सिनेमा के बहुत बड़े प्रशंसक हैं।
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि आमिर खान, नसीरूद्दीन शाह और शबाना आजमी अपने काम और प्रतिभा की बदौलत सालों से भारतीय सिनेमा के बेहतरीन कलाकार रहे हैं। इसलिए मैं उनको अपना आदर्श मानता हूं।"
लोपेज की आनेवाली फिल्म 'द मैड वन्स' एक 20 साल के तीन युवकों की कहानी है, जो इस डिजिटल दौर में अपने काम और अपनी जिंदगी का मतलब तलाशने की कोशिश करते हैं। लोपेज ने फिल्म में एक भारतीय युवक नितिन की भूमिका निभाई है।