2 अप्रैल 2014
चेन्नई|
तमिल फिल्म 'नान सिगाप्पु मनिथन' की शूटिंग पूरी करने वाले सिनेमैटोग्राफर रिचार्ड एम. नाथन का कहना है कि हैंड हेल्ड कैमरे के साथ फिल्म की शूटिंग करना काफी थकाऊ काम है। उन्होंने कहा कि अगर निर्माता उन्हें मोटी रकम भी देंगे तो भी वह कम से कम अगले दो साल तक हैंड-हेल्ड कैमरे से शूटिंग नहीं करेंगे।
नाथन ने आईएएनएस को बताया, "हैंड हेल्ड कैमरे के साथ शूटिंग शारीरिक तौर पर थकाऊ है। हैंड-हेल्ड कैमरे का वजन अपने कंधों पर रखना होता है। आमतौर पर इसका वजन 18 किलोग्राम का होता है और आप को इसे कम से कम 12 घंटों तक पकड़ना होता है। आप शारीरिक क्षति की कल्पना कर सकते हैं।"
उन्होंने कहा, "अगर निर्माता मुझे किसी फिल्म के लिए ज्यादा रकम भी दें, तो भी मैं कम से कम दो साल तक हैंड-हेल्ड कैमरे का प्रयोग करने वाला नहीं हूं।"
उन्होंने कहा, ' हैंड-हेल्ड कैमरे के साथ शॉट लेने के लिए मुझे । इससे मेरी रीढ़ पर जोर पड़ता है।"
'नान सिगापु मिनिथन' के लिए नाथन ने 40 फीसदी शूटिंग हैंड-हेल्ड कैमरे से की है।
उन्होंने बताया, "आप फिल्म देखेंगो तो आपको महसूस होगा कि बहुत सारे क्लोज-अप शॉट हैं। हमने अधिकतर शॉट हैंड-हेल्ड कैमरे का प्रयोग करके किया है।"
हैंड-हेल्ड कैमरे के लाभ क्या हैं?
नाथन ने बताया, "यह समय की काफी बचत करता है। कैमरे की सेटिंग में समय बर्बाद करने की जगह आप हैंड हेल्ड कैमरा उठाते हैं और शूटिंग शुरू कर देते हैं। जिस दृश्य में आम तौर पर कई दिन लगते हैं, हैंड-हेल्ड कैमरे से वह कुछ ही घंटों में हो जाता है।"
उन्होंने बंताया कि हालांकि फिल्मों में अभी भी हैंड-हेल्ड हैमरे का प्रयोग होता है, लेकिन ऐसी फिल्म बमुश्किल ही मिलेगी जिसकी पूरी शूटिंग हैंड-हैल्ड कैमरे से हुई हो।