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छोटा भीम हिमालयन एडवेंचर देश के 45 करोड़ बच्चों के लिए है: राजीव चिलाका

हाल में रिलीज़ हुई “छोटा भीम हिमालयन एडवेंचर” बच्चों के बीच काफ़ी पसंद की जा रही है। हमने बात की फ़िल्म के निर्देशक राजीव चिलाका से और जानने की कोशिश की कि इस फ़िल्म के पीछे उनकी क्या सोच है।

छोटा भीम पहले से एनीमेटेड सीरिज़ के तौर पर टीवी पर आता है। फिर इसे फ़िल्म के रूप में बनाने का ख़्याल कैसे आया?

पहली चीज़ तो यह कि छोटा भीम अब काफ़ी वक़्त से दर्शकों के बी़च उपस्थिति दर्ज करा रहा है। यह मेरी पहली फ़िल्म नहीं है। दरअस्ल, मैंने यह तीसरी फ़िल्म बनायी है। 2012 और 2013 में आयी पहली दो फ़िल्मों को दर्शकों की तरफ़ से बढ़िया प्रतिक्रिया मिली। अब यह तीसरी फ़िल्म क़रीब ढाई साल बाद आयी है। छोटा भीम का अपना एक प्रशंसक वर्ग है और हमें उम्मीद है कि इस फ़िल्म को बड़ी सफलता मिलेगी। फ़ैन काफ़ी समय से हमें लिख रहे थे कि हम लोग एक और फ़िल्म क्यों नहीं बनाते, क्योंकि पिछली दो फ़िल्में उम्दा थीं। ये बातें सुनकर हमें काफ़ी अच्छा लगता था। इसलिए हम यह फ़िल्म लेकर आए। इसे पिछली फ़िल्मों से बेहतर कवरेज भी मिल रही है। मुझे लगता है कि यह हमारी सर्वश्रेष्ठ मूवी है।

आपने छोटा भीम को वज़ीर के सामने उतारा है जो एक बड़े बजट की फ़िल्म है; अमिताभ बच्चन और फ़रहान अख़्तर जैसे बड़े सितारों से सजी फ़िल्म है। क्या आपको लगता है कि यह क़दम ठीक है?

अगर आप फ़िल्मों के रिलीज़ की तारीख़ देखेंगे तो पाएंगे कि हर हफ़्ते एक-न-एक बड़ी फ़िल्म आ रही है। पहले हम इसे 18 दिसंबर को रिलीज़ करना चाहते थे। लेकिन तब दिलवाले और बाजीराव-मस्तानी जैसी बड़ी फ़िल्में आ रही थीं। हमेशा ऐसा ही कुछ होता है। इस लिहाज़ से ऐसा कोई समय नहीं है जो खाली हो। इसलिए हमें कभी-कभी जोख़िम उठाना ही पड़ता है। हमारी फ़िल्म हिमालय में रोमांच के इर्द-गिर्द बुनी गयी है और सर्दियों के मौसम पर केंद्रित है। अगर हम इसे बाद में गर्मी के मौसम में रिलीज़ करते तो बड़ा अजीब लगता। इसके अलावा जनवरी में छुट्टियाँ भी रहती हैं। बच्चों के पास काफ़ी समय होता है। हमारे दर्शक अस्ल में तो बच्चे ही हैं। इसलिए हमारे हिसाब से फ़िल्म रिलीज़ करने का यह सबसे बढ़िया समय था। साथ ही फ़िल्म भी बेहतरीन है और हर उम्र के दर्शकों को पसंद आएगी। हमें फ़ीडबैक भी मिलने लगे हैं कि फ़िल्म बच्चों-बड़ों दोनों को पसंद आ रही है।

भारत में छोटा भीम जैसी फ़िल्मों के लिया कैसा बाज़ार है?

भारत 43 करोड़ बच्चों का देश है। दुःख की बात है कि उनके लिए देश में कोई फ़िल्म नहीं बनाता। एक तिहाई जनता को बॉलीवुड से कुछ नहीं मिल रहा है। दूसरी ओर टीवी धारावाहिक के रूप में छोटा भीम को बहुत प्यार और शौहरत मिली है। बच्चे इसे बेहद पसंद करते हैं। इसलिए हमें यह फ़िल्म बनानी ही थी। बच्चों को शिक्षित करने में यह हमारा योगदान है। पिछली फ़िल्में पैसे के नज़रिए से ज़्यादा क़ामयाब नहीं रहीं, लेकिन हमने हार नहीं मानी। हम तब तक कोशिश करते रहेंगे, जब तक सफल नहीं हो जाते।


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