हिंदू धर्म और वैदिक ज्योतिष में ग्रहण का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि ग्रहण के प्रभाव से वातावरण में रज-तम बढ़ जाता है, जिसका मानव जीवन पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। रज-तम बढ़ने से अनिष्ट शक्तियां कई समस्याएं उत्पन्न करती है। हालांकि ज्योतिष उपाय, दान-धर्म और साधना के द्वारा ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सकता है।
साल 2017 में कुल 3 ग्रहण पड़ रहे हैं। इनमें दो सूर्य ग्रहण व एक आंशिक चंद्र ग्रहण है। आईये इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि आपके जीवन पर इस ग्रहण का क्या असर होगा?
ग्रहण सामान्यत: एक खगोलीय घटना है। इसके अनुसार जब एक खगोलीय पिंड पर दूसरे खगोलीय पिंड की छाया पड़ती है, तब ग्रहण होता है। हर साल हमें सूर्य व चंद्र ग्रहण दिखाई देते हैं, जो पूर्ण (खग्रास) व आंशिक (खंडग्रास) होते हैं।
इस वर्ष दो सूर्य ग्रहण पड़ने वाले हैं। पहला सूर्य ग्रहण 26 फरवरी व दूसरा सूर्य ग्रहण 21 अगस्त को होगा। हालांकि भारत में दोनों सूर्य ग्रहण नहीं दिखाई देंगे, लिहाजा धार्मिक दृष्टि से इसका महत्व नहीं है।
दिनांक | ग्रहण का प्रकार | भारत में दृश्यता | इन इलाकों में दिखाई देगा ग्रहण | ग्रहण का समय |
26 फरवरी 2017 | सूर्य ग्रहण | नहीं | अमेरिका के दक्षिणी भाग, अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिणी प्रशांत महासागर, दक्षिणी अटलांटिक महासागर | 17:39 to 23:04 |
21 अगस्त 2017 | सूर्य ग्रहण | नहीं | दक्षिणी अफ्रीका, उत्तरी पैसेफिक, अंटार्कटिका | 21:16 to 02:34 |
इस वर्ष आंशिक चंद्र ग्रहण पड़ेगा। यह 6 अगस्त 2017 सोमवार को लगेगा। यह ग्रहण भारत समेत कई देशों में देखा जाएगा।
दिनांक | ग्रहण का प्रकार | भारत में दृश्यता | इन इलाकों में दिखाई देगा ग्रहण | ग्रहण का समय |
7 अगस्त 2017 | आंशिक चंद्र ग्रहण | हां | भारत समेत यूरोप, उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और पूर्वी एशिया | रात्रि 10:44 पर शुरू, रात्रि 11:43 पर मध्य, रात्रि 1: 59 को समाप्त |
यह ग्रहण श्रवण नक्षत्र व मकर राशि पर लगेगा। चंद्र ग्रहण का सूतक 07 अगस्त सोमवार को दोपहर 1 बजकर 44 मिनट पर लग जाएगा। सूतक के दौरान भोजन, शयन, मूर्ति स्पर्श, हास्य-विनोद निषेध है। ग्रहण लगने पर स्नान, ग्रहण के मध्य में देव-पूजन, तर्पण, श्राद्ध, जप, हवन आदि करें। जब ग्रहण कम होने लगे उस समय दान करें। ग्रहण समाप्त होने पर पुन: स्नान करें।
यह ग्रहण श्रवण व मकर राशि पर लगेगा, इसलिए जन्म से व नाम से जिन लोगों का श्रवण नक्षत्र व मकर राशि हो, उन सबको और गर्भवती महिलाओं को यह ग्रहण नहीं देखना चाहिए।
राशि | फल |
मेष | सुख |
वृषभ | मानभंग |
मिथुन | कष्ट |
कर्क | स्त्री चिंता |
सिंह | सुख |
कन्या | चिंता |
तुला | व्यथा |
वृश्चिक | श्री |
धनु | हानि |
मकर | घात |
कुंभ | क्षति |
मीन | लाभ |
सूर्य ग्रहण के दौरान करें इस मंत्र का जाप
ॐ आदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्॥
चंद्र ग्रहण के दौरान करें इस मंत्र का जाप
ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात्॥
ग्रहण को लेकर पौराणिक मान्यताहिंदू धर्म में ग्रहण को मानव समुदाय के लिए हानिकारक माना गया है। जिस नक्षत्र और राशि में ग्रहण लगता है उससे जुड़े लोगों पर ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। हालांकि ग्रहण के दौरान मंत्र जाप व कुछ जरूरी सावधानी अपनाकर इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार देवता और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। समुद्र मंथन से उत्पन्न अमृत को दानवों ने छिन लिया। इस दौरान भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण करके दानवों से अमृत ले लिया और उसे देवताओं में बांटने लगे, लेकिन भगवान विष्णु की इस चाल को राहु नामक असुर समझ गया और वह देव रूप धारण कर देवताओं के बीच बैठ गया। जैसे ही राहु ने अमृतपान किया, उसी समय सूर्य और चंद्रमा ने कहा कि, यह राहु दैत्य है। इसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन च्रक से राहु की गर्दन को काट दिया। अमृत के प्रभाव से उसका सिर व धड़ राहु और केतु छायाग्रह के नाम से सौर मंडल में स्थापित हो गए। माना जाता है कि राहु और केतु इसी बैर भाव की वजह से सूर्य और चंद्रमा का ग्रहण कराते हैं।
ग्रहण के दौरान सूतक या सूतक काल वह समय है, जब कोई भी शुभ कार्य का आरंभ करना वर्जित होता है। क्योंकि इस समय को अशुभ माना जाता है इसलिए सूतक के दौरान शुभ कार्य नहीं किया जाता है। सामान्यत: सूर्य व चंद्र ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। ग्रहण के समाप्त होने पर स्नान के बाद सूतक काल खत्म होता है।
हिंदू वैदिक ज्योतिष के दौरान सूतक काल के दौरान निम्न सावधानी बरतनी चाहिए।
वहीं गर्भवती महिलाओं को ग्रहण सूतक के दौरान खास सावधानी बरतनी चाहिए। ग्रहण के दौरान बाहर निकलने और ग्रहण को देखने से बचना चाहिए। बुज़ुर्ग, बच्चे और रोगियों पर सूतक का कोई प्रभाव नहीं होता है।
ग्रहण का मानव जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है लेकिन इन तमाम धार्मिक उपायों की मदद से आप इसके बुरे प्रभाव से बच सकते हैं।
हम आशा करते हैं कि यह लेख आपके लिए लाभकारी और शिक्षाप्रद होगा। इन उपायों की मदद से आप ग्रहण के बुरे प्रभावों से दूर रहेंगे।