आमवस्या के बारे में अमूमन सभी हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग जानते हैं, लेकिन अमावस्या वास्तव में क्या है और इसकी क्या महत्व है इस बारे में विस्तार से शायद ही किसी को मालूम हो। आज इस लेख के ज़रिये हम आपको विशेष रूप से बताने जा रहे हैं की आखिर अमावस्या क्या है और इसे इतनी महत्ता क्यों दी जाती है।
सनातन हिन्दू धर्म में अमावस्या को विशेष महत्व दिया गया है, इस दिन व्रत रखने और पूजा अर्चना करने की परंपरा है जिसे लोग आज भी मानते हैं। हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार हर महीने दो पक्ष होते हैं, पहला शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष। जिस दिन आसमान से चन्द्रमा धरती पर अपनी चांदिनी बिखेरता है उस दिन को कृष्ण पक्ष कहा जाता है। आम बोल चाल की भाषा में इस दिन को पूर्णिमा भी कहते हैं। जिस दिन आसमान में पूरी तरह से चाँद दिखाई नहीं देता है उस दिन को अमावस्या कहते हैं और इस दिन पड़ने वाले पक्ष को शुक्ल पक्ष कहते हैं जिसकी शुरुवात कृष्णा पक्ष ख़त्म होने के बाद होती है। जब शुक्ल पक्ष की शुरुवात होती है उस दौरान जिस दिन आसमान में चाँद दिखाई नहीं देता है और अगर वो दिन सोमवार होता है तो उस अमावस्या के दिन को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार ये महीने के 30वें दिन और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पड़ती है।
दिनांक | वार | अमावस्या |
5 जनवरी, 2019 | शनिवार | मार्गशीर्ष अमावस्या |
4 फरवरी, 2019 | सोमवार | पौष अमावस्या |
6 मार्च, 2019 | बुधवार | माघ अमावस्या |
5 अप्रैल, 2019 | शुक्रवार | फाल्गुन अमावस्या |
4 मई, 2019 | शनिवार | चैत्र अमावस्या |
3 जून, 2019 | सोमवार | वैशाख अमावस्या |
2 जुलाई, 2019 | मंगलवार | ज्येष्ठ अमावस्या |
1 अगस्त, 2019 | गुरुवार | आषाढ़ अमावस्या |
30 अगस्त, 2019 | शुक्रवार | श्रावण अमावस्या |
28 सितंबर, 2019 | शनिवार | भाद्रपद अमावस्या |
28 अक्टूबर, 2019 | सोमवार | अश्विन अमावस्या |
26 नवंबर, 2019 | मंगलवार | कार्तिक अमावस्या |
26 दिसंबर, 2019 | गुरुवार | मार्गशीर्ष अमावस्या |
हिन्दू धर्म के अनुसार अमावस्या की तिथियों को ख़ासा अहमियत दी गयी है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है। प्रमुख रूप से हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार पितृ दोष से निजात पाने के लिए अमावस्या की तिथि का विशेष महत्व है। अमावस्या के दिन पूरे विधि विधान के साथ गंगा जी में स्नान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और पुण्य मिलता है। इसके अलावा कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति यदि इस दोष के निवारण के लिए अमावस्या के दिन कुछ विशेष उपाय करें तो उन्हें काफी लाभ मिलता है। हिन्दुओं का सबसे बड़ा पर्व दिवाली भी अमावस्या के दिन ही मनाया जाता है इसलिए इस दिन दीपक जलाकर खासतौर से रौशनी की जाती है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार हर महीने पड़ने वाली अमावस्या तिथि का ख़ास महत्व है और इस दिन व्रत रखकर यदि पूजा पाठ किया जाए तो इससे जीवन पर अमावस्या के पड़ने वाले दुष्प्रभावों को दूर किया जा सकता है।
अमावस्या मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है, मौनी अमावस्या और सोमवती अमावस्या। गौरतलब है की माघ महीने में पड़ने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं और सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। जहाँ तक साल 2019 में इन दोनों अमावस्या के आने की तिथि का सवाल है तो इस साल सबसे पहले छह मार्च को मौनी अमावस्या पड़ रही है। इस दिन विशेष रूप से गंगा, गोदावरी और क्षिप्रा नदी के किनारे श्रद्धालुओं की ख़ासा भीड़ देखने को मिल सकती है। इस दिन लोग सच्चे दिल से व्रत रखते हैं और अपने पूर्वजों को याद करते हैं। हालंकि जो भक्त उपरोक्त पावन नदियों में स्नान नहीं कर पाते हैं तो वे घर पर ही गंगा जल से स्नान करते हैं और गंगा जल का सेवन करते हैं। इस दिन घर में, मंदिर में, घर के पौधों में और घर के आसपास गंगा जल छिड़कने से शुद्धि होती है। जबकि सोमवती में भी व्रत रखने की परंपरा है लेकिन इस दिन विवाहित स्त्री अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती है। साल 2019 में 4 फरवरी (पौष माह), 3 जून (वैशाख) और 28 अक्टूबर (अश्विन) को सोमवती अमावस्या पड़ रही है।
धार्मिक मान्यता है कि सोमवती अमास्या वाले दिन पीपल के पेड़ में सभी देवताओं का वास होता है। इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने, दूध चढ़ाने, जल चढ़ाने और फूल आदि चढ़ाने से काफी पुण्य मिलता है। कहते हैं कि पूजा करने के बाद यदि पीपल के पेड़ के पास 5 कन्याओं को भोजन खिलाकर दक्षिणा दी जाए तो घर की सारी समस्या, क्लेश, पैसों की दरिद्रता और शारीरिक रोग दूर होते हैं।
अमावस्या को लेकर शास्त्रों में कई खास तरह के नियम हैं। जबकि ज्योतिषी भी इस दिन विशेष प्रकार के कार्य करने की सलाह देते हैं। पंडितों का कहना है कि ऐसा कोई भी प्राणी नहीं है जो पूरे साल कभी भी अपने पूर्वजों का श्राद्ध या तर्पण नहीं करता हो। जिन लोगों को अपने पूर्वजों के श्राद्ध की तिथि मालूम नहीं होती है वह अमावस्या के दिन श्राद्ध करेंगे तो उसे सभी तिथियों का पूर्ण फल प्राप्त होगा। पितरों से वरदान मिलने और अमावस्या को सर्वपितृ श्राद्ध के लिए सर्वश्रेष्ठ पुण्य फलदायी माना गया है। माघ, फाल्गुन, बैसाखी, श्रावण, कार्तिक और ज्येष्ठ को काफी शुभ अमावस्या की तिथि मानी जाती है। ये मान्यता है कि इन माह की अमावस्या को ग्रहों की चाल काफी शुभ रहती है और नक्षत्रों की दिशा भी अनुकूल होती है। पितरों की सच्चे दिल से पूजा करने, पितरों के नाम का खाना और अनाज निकालकर ब्राह्मण को भेंट करने से अच्छा फल मिलता है।
आप सभी को हिन्दी लोक की पूरी टीम की ओर से शुभकामनाएँ