नामकरण संस्कार के लिए यानि साल 2019 में बच्चे का नाम रखने के लिए कौन सा दिन, वार, लग्न और नक्षत्र रहेगा शुभ इसकी जानकारी आज हम आपको दे रहे हैं। जब कोई शिशु इस धरती पर जन्म लेता है तो सिर्फ चेहरा उसकी पहचान होता है, लेकिन नामकरण संस्कार के बाद नाम बच्चे की पहचान बनता है। नाम रखने की इस परंपरा को ही हिंदू धर्म में नामकरण संस्कार कहा जाता है। हिन्दू धर्म में नामकरण संस्कार सही मुहूर्त पर करने की मान्यता है। ऐसा करने से व्यक्ति अपने नाम के साथ बहुत अनुकूल रहता है और उसका व्यक्तित्व भी निखर कर आता है। यही वजह है कि माता-पिता अपने बच्चे का नामकरण पंडित को बुलाकर सही मुहूर्त पर कराते हैं। नामकरण संस्कार हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों में से एक है जिसे षोडश संस्कार भी कहते हैं। मुंडन, अन्नप्राशन, विद्यारंभ और कर्णवेध की तरह ही नामकरण संस्कार भी बाल्यवस्था में किया जाता है। आज हम आपको बताएंगे कि नामकरण संस्कार सही मुहूर्त पर करने के क्या लाभ है और इसकी क्या ज्योतिष मान्यता और महत्व है।
नामकरण संस्कार मुहूर्त 2019 | ||||
दिनाँक | दिन | तिथि | नक्षत्र | समय |
02 जनवरी 2019 | बुधवार | द्वादशी | विशाखा नक्षत्र में | 09:39 - 18:28 |
03 जनवरी 2019 | गुरुवार | त्रयोदशी | अनुराधा नक्षत्र में | 07:15 - 11:03 |
07 जनवरी 2019 | सोमवार | प्रतिपदा | उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में | 07:15 - 18:09 |
09 जनवरी 2019 | बुधवार | तृतीया | धनिष्ठा नक्षत्र में | 07:15 - 14:38 |
18 जनवरी 2019 | शुक्रवार | द्वादशी | रोहिणी नक्षत्र में | 07:15 - 19:26 |
21 जनवरी 2019 | सोमवार | पूर्णिमा | पुष्य नक्षत्र में | 10:46 - 19:34 |
25 जनवरी 2019 | शुक्रवार | पंचमी | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | 07:13 - 18:18 |
30 जनवरी 2019 | बुधवार | दशमी | अनुराधा नक्षत्र में | 15:33 - 16:40 |
06 फरवरी 2019 | बुधवार | द्वितीया | धनिष्ठा नक्षत्र में | 07:07 - 09:53 |
07 फरवरी 2019 | गुरुवार | द्वितीया | शतभिषा नक्षत्र में | 07:06 - 12:09 |
11 फरवरी 2019 | सोमवार | षष्ठी | अश्विनी नक्षत्र में | 07:03 - 18:12 |
15 फरवरी 2019 | शुक्रवार | दशमी | मृगशिरा नक्षत्र में | 07:27 - 20:13 |
21 फरवरी 2019 | गुरुवार | द्वितीया | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | 06:55 - 19:50 |
04 मार्च 2019 | सोमवार | तृतीया | श्रवण नक्षत्र में | 06:44 - 16:29 |
08 मार्च 2019 | शुक्रवार | द्वितीया | उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में | 06:40 - 18:51 |
13 मार्च 2019 | बुधवार | सप्तमी | रोहिणी नक्षत्र में | 06:34 - 18:31 |
21 मार्च 2019 | गुरुवार | पूर्णिमा | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | 07:13 - 20:16 |
22 मार्च 2019 | शुक्रवार | द्वितीया | हस्त नक्षत्र में | 06:24 - 20:12 |
25 मार्च 2019 | सोमवार | पंचमी | विशाखा नक्षत्र में | 07:03 - 20:00 |
01 अप्रैल 2019 | सोमवार | द्वितीया | धनिष्ठा नक्षत्र में | 06:12 - 19:23 |
05 अप्रैल 2019 | शुक्रवार | पूर्णिमा | रेवती नक्षत्र में | 14:20 - 19:17 |
10 अप्रैल 2019 | बुधवार | पंचमी | रोहिणी नक्षत्र में | 06:02 - 18:57 |
11 अप्रैल 2019 | गुरुवार | षष्ठी | मृगशिरा नक्षत्र में | 06:01 - 10:25 |
12 अप्रैल 2019 | शुक्रवार | सप्तमी | आर्द्रा नक्षत्र में | 09:54 - 13:24 |
17 अप्रैल 2019 | बुधवार | त्रयोदशी | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | 05:54 - 18:31 |
19 अप्रैल 2019 | शुक्रवार | पूर्णिमा | चित्रा नक्षत्र में | 16:42 - 19:29 |
26 अप्रैल 2019 | शुक्रवार | सप्तमी | उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में | 05:45 - 14:40 |
29 अप्रैल 2019 | सोमवार | दशमी | शतभिषा नक्षत्र में | 05:43 - 08:51 |
02 मई 2019 | गुरुवार | त्रयोदशी | उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में | 06:42 - 19:50 |
06 मई 2019 | सोमवार | द्वितीया | कृतिका नक्षत्र में | 16:36 - 19:34 |
09 मई 2019 | गुरुवार | पंचमी | आर्द्रा नक्षत्र में | 15:17 - 19:00 |
10 मई 2019 | शुक्रवार | षष्ठी | पुनर्वसु नक्षत्र में | 05:34 - 19:06 |
15 मई 2019 | बुधवार | एकादशी | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | 10:36 - 21:18 |
16 मई 2019 | गुरुवार | द्वादशी | हस्त नक्षत्र में | 05:30 - 19:08 |
23 मई 2019 | गुरुवार | पंचमी | उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में | 05:27 - 20:46 |
24 मई 2019 | शुक्रवार | षष्ठी | उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में | 05:26 - 20:42 |
29 मई 2019 | बुधवार | दशमी | उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में | 15:21 - 20:23 |
30 मई 2019 | गुरुवार | एकादशी | रेवती नक्षत्र में | 05:24 - 20:19 |
31 मई 2019 | शुक्रवार | द्वादशी | अश्विनी नक्षत्र में | 05:24 - 20:15 |
03 जून 2019 | सोमवार | पूर्णिमा | रोहिणी नक्षत्र में | 15:32 - 20:03 |
06 जून 2019 | गुरुवार | तृतीया | पुनर्वसु नक्षत्र में | 05:23 - 09:55 |
07 जून 2019 | शुक्रवार | चतुर्थी | पुष्य नक्षत्र में | 07:38 - 18:56 |
12 जून 2019 | बुधवार | दशमी | हस्त नक्षत्र में | 06:06 - 19:28 |
13 जून 2019 | गुरुवार | एकादशी | चित्रा नक्षत्र में | 16:49 - 19:24 |
14 जून 2019 | शुक्रवार | द्वादशी | स्वाति नक्षत्र में | 05:23 - 10:16 |
19 जून 2019 | बुधवार | द्वितीया | पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में | 13:29 - 19:59 |
27 जून 2019 | गुरुवार | नवमी | रेवती नक्षत्र में | 05:44 - 18:15 |
28 जून 2019 | शुक्रवार | दशमी | अश्विनी नक्षत्र में | 06:36 - 09:11 |
03 जुलाई 2019 | बुधवार | प्रतिपदा | आर्द्रा नक्षत्र में | 06:36 - 20:09 |
04 जुलाई 2019 | गुरुवार | द्वितीया | पुष्य नक्षत्र में | 05:28 - 20:05 |
08 जुलाई 2019 | सोमवार | षष्ठी | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | 05:30 - 15:26 |
11 जुलाई 2019 | गुरुवार | दशमी | स्वाति नक्षत्र में | 05:31 - 15:55 |
18 जुलाई 2019 | गुरुवार | द्वितीया | श्रवण नक्षत्र में | 05:35 - 20:52 |
19 जुलाई 2019 | शुक्रवार | द्वितीया | धनिष्ठा नक्षत्र में | 05:35 - 20:03 |
22 जुलाई 2019 | सोमवार | पंचमी | पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में | 10:24 - 20:37 |
24 जुलाई 2019 | बुधवार | सप्तमी | रेवती नक्षत्र में | 05:38 - 18:05 |
29 जुलाई 2019 | सोमवार | द्वादशी | मृगशिरा नक्षत्र में | 08:00 - 18:22 |
01 अगस्त 2019 | गुरुवार | पूर्णिमा | पुष्य नक्षत्र में | 08:42 - 12:11 |
05 अगस्त 2019 | सोमवार | पंचमी | हस्त नक्षत्र में | 05:45 - 19:42 |
07 अगस्त 2019 | बुधवार | सप्तमी | स्वाति नक्षत्र में | 05:46 - 11:41 |
09 अगस्त 2019 | शुक्रवार | नवमी | अनुराधा नक्षत्र में | 10:00 - 19:26 |
15 अगस्त 2019 | गुरुवार | पूर्णिमा | श्रवण नक्षत्र में | 17:59 - 19:02 |
16 अगस्त 2019 | शुक्रवार | प्रतिपदा | धनिष्ठा नक्षत्र में | 05:51 - 20:22 |
21 अगस्त 2019 | बुधवार | पंचमी | अश्विनी नक्षत्र में | 05:53 - 20:06 |
28 अगस्त 2019 | बुधवार | त्रयोदशी | पुष्य नक्षत्र में | 06:10 - 19:39 |
09 सितंबर 2019 | सोमवार | एकादशी | पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में | 08:36 - 11:33 |
11 सितंबर 2019 | बुधवार | त्रयोदशी | श्रवण नक्षत्र में | 06:04 - 18:36 |
16 सितंबर 2019 | सोमवार | द्वितीया | रेवती नक्षत्र में | 06:06 - 19:49 |
20 सितंबर 2019 | शुक्रवार | षष्ठी | कृतिका नक्षत्र में | 10:19 - 19:33 |
25 सितंबर 2019 | बुधवार | एकादशी | पुष्य नक्षत्र में | 06:11 - 08:53 |
30 सितंबर 2019 | सोमवार | द्वितीया | चित्रा नक्षत्र में | 06:13 - 12:08 |
02 अक्टूबर 2019 | बुधवार | चतुर्थी | विशाखा नक्षत्र में | 12:52 - 18:46 |
03 अक्टूबर 2019 | गुरुवार | पंचमी | अनुराधा नक्षत्र में | 06:15 - 12:10 |
07 अक्टूबर 2019 | सोमवार | नवमी | उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में | 12:38 - 18:26 |
09 अक्टूबर 2019 | बुधवार | एकादशी | धनिष्ठा नक्षत्र में | 17:19 - 18:18 |
10 अक्टूबर 2019 | गुरुवार | द्वादशी | शतभिषा नक्षत्र में | 06:19 - 18:14 |
14 अक्टूबर 2019 | सोमवार | प्रतिपदा | रेवती नक्षत्र में | 06:21 - 17:59 |
18 अक्टूबर 2019 | शुक्रवार | चतुर्थी | रोहिणी नक्षत्र में | 07:29 - 19:18 |
21 अक्टूबर 2019 | सोमवार | सप्तमी | पुनर्वसु नक्षत्र में | 06:26 - 06:44 |
25 अक्टूबर 2019 | शुक्रवार | द्वादशी | पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में | 11:00 - 18:51 |
28 अक्टूबर 2019 | सोमवार | पूर्णिमा | स्वाति नक्षत्र में | 09:08 - 18:26 |
30 अक्टूबर 2019 | बुधवार | तृतीया | अनुराधा नक्षत्र में | 06:32 - 18:31 |
06 नवंबर 2019 | बुधवार | दशमी | शतभिषा नक्षत्र में | 07:21 - 18:04 |
07 नवंबर 2019 | गुरुवार | एकादशी | शतभिषा नक्षत्र में | 06:37 - 08:41 |
08 नवंबर 2019 | शुक्रवार | एकादशी | पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में | 12:24 - 17:56 |
14 नवंबर 2019 | गुरुवार | द्वितीया | रोहिणी नक्षत्र में | 06:43 - 17:32 |
15 नवंबर 2019 | शुक्रवार | तृतीया | मृगशिरा नक्षत्र में | 06:44 - 07:53 |
18 नवंबर 2019 | सोमवार | षष्ठी | पुष्य नक्षत्र में | 06:46 - 17:10 |
22 नवंबर 2019 | शुक्रवार | दशमी | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | 09:01 - 18:56 |
27 नवंबर 2019 | बुधवार | प्रतिपदा | अनुराधा नक्षत्र में | 06:53 - 08:12 |
02 दिसंबर 2019 | सोमवार | षष्ठी | श्रवण नक्षत्र में | 06:57 - 18:17 |
06 दिसंबर 2019 | शुक्रवार | दशमी | उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में | 07:00 - 16:30 |
12 दिसंबर 2019 | गुरुवार | पूर्णिमा | मृगशिरा नक्षत्र में | 10:42 - 17:37 |
27 दिसंबर 2019 | शुक्रवार | प्रतिपदा | पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में | 17:30 - 18:53 |
30 दिसंबर 2019 | सोमवार | चतुर्थी | धनिष्ठा नक्षत्र में | 13:55 - 18:41 |
हिंदू सनातन धर्म को मानने वाले लोगों का मानना है कि जब बच्चा जन्म लेता है तो उसके साथ कई रोग भी साथ आते हैं। नामकरण संस्कार करने से इन सभी नकारात्मक प्रभावों और कष्टों से छुटकारा मिलता है। शिशु के जन्म के दसवें या ग्याहरवें दिन नामकरण किया जाता है। पंडित शुभ मुहूर्त, ग्रहों की दशा और नक्षत्र के हिसाब से नामकरण मुहूर्त निकालते हैं। हालांकि आजकल आधुनिकता की होड़ में माता-पिता अपने हिसाब से कभी भी बच्चों का नामकरण कर देते हैं लेकिन इसका खाामियाजा शिशु को बाद में भुगतना पड़ता है। नामकरण संस्कार इसलिए भी जरूरी है क्योंकि नामकरण के वक्त किए जाने वाले यज्ञ और हवन से घर के वातावरण की शुद्धि तो होती ही है साथ ही शिशु को भी कई लाभ मिलते हैं। इसके अलावा ऐसी मान्यता है कि बच्चे की राशि के हिसाब से नाम रखने पर इससे शिशु के ग्रह शांत रहते हैं और उस पर नकारात्मक शक्तियों का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।
अगर पहले के समय से आज की तुलना की जाए तो नामकरण मुहूर्त निकालना उतना मुश्किल नहीं रह गया है। आजकल जहां एक तरफ कुशल ज्योतिषों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है वहीं मुहूर्त देखने के कई नए साधन भी सामने आ रहे हैं। हालांकि आमतौर पर प्रख्यात पंडित या ज्योतिष ही नामकरण करने के सही मुहूर्त की गणना करते हैं। इसके लिए पंचाग का सहारा लिया जाता है। शिशु के जन्म लेते ही पंडित उसकी जन्मकुंडली बनाते हैं, जिसके आधार पर पता चलता है कि शिशु के ग्रह कितने भारी हैं। फिर उसी आधार पर पंडित सही मुहूर्त बताते हैं। इसके इतर अब मुहूर्त देखने में इंटरनेट बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है। आजकल कई ऐसी वेबसाइट हैं जो कुछ मामूली सी जानकारी मांगने के बाद सही मुहूर्त बताती हैं। इसके अलावा आजकल कई ऐसे मोबाइल एप्स भी आ चुके हैं जो मुहूर्त के बारे में बताते हैं। इन एप्स को आप गूगल प्लेस्टोर से डाउनलोड कर आसानी से शुभ मुहूर्त के बारे में जाना सकते हैं।
नामकरण संस्कार कराना हिन्दू धर्म में विशेष रूप से आवश्यक माना गया है। नामकरण करते वक्त शिशु के माता पिता के साथ उसके दादा दादी और अन्य परिवार वालों का होना जरूरी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यदि नामकरण संस्कार पूरे विधि विधान के साथ संपन्न कराया जाए तो शिशु को न सिर्फ बाहरी बल्कि आंतरिक लाभ भी मिलते हैं। नामकरण अपने घर के अलावा, मंदिर या किसी धार्मिक स्थल पर भी किया जा सकता है। इस संस्कार को कराने के पीछे का कारण बच्चे को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ और सक्षम बनाना है। इसके अलावा इससे शिशु के जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और भविष्य उज्जवल होता है। नामकरण संस्कार से आयु एवं तेज में वृद्धि होती है। नाम की प्रसिद्धि से व्यक्ति के लौकिक व्यवहार में एक अलग अस्तित्व का उदय होता है।
ज्योतिषों की मान्यता है कि नामकरण संस्कार शिशु के जन्म के 11वें या 12वें दिन करना शुभ माना जाता है। इन दिनों में नामकरण करने से शिशु जिंदगीभर सुखी रहता है और नकारात्मक तत्व उसे छूते भी नहीं हैं। चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी जैसी तिथि नामकरण संस्कार करने के लिए बेहद शुभ मानी जाती हैं। जबकि मृगशिरा, रोहिणी, पुष्य, रेवती, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, श्रवण, अश्विनी और शतभिषा नक्षत्रों में नामकरण संस्कार करना अच्छा होता है। नामकरण के वक्त शिशु के दो नाम रखे जाते हैं। जिसमें एक प्रचलित नाम होता है और एक गौण नाम होता है। बच्चे का गुप्त नाम इसलिए रखा जाता है क्योंकि इससे बच्चे के जातक को मारण, उच्चाटन आदि तांत्रिक क्रियाओं से बचाना है। जबकि प्रचलित नाम पर इन सभी क्रियाओं का असर नहीं होता है और बच्चा सुरक्षित रहता है। पंडित बच्चे की राशि के हिसाब से उसका नाम बताते हैं। लेकिन आजकल के माता पिता अपने बच्चे का नाम अपने नाम से मिलता झुलता रखते हैं या फिर पहले ही नाम तय कर लेते हैं।