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Makar Sankranti 2020: मकर संक्रांति 2020 दिनांक और महत्व

मकर संक्रांति 2020 वार्षिक रूप से मनाया जाने वाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है। हिन्दू धर्म में समय-समय पर कई त्योहार-पर्व मनाएं जाते हैं और हर एक पर्व-त्योहार की अपनी एक विशेषता है, महत्त्व है। हर साल जनवरी महीने के दूसरे हफ्ते की आखिरी तारीख को मनाया जाने वाला मकर सक्रांति का त्योहार भी इस कड़ी का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो पूरे भारत में अलग-अलग नामों और तरीकों से मनाया जाता है। यूं तो सूर्यदेव सभी राशियों में विचरण करते हैं लेकिन कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश, विशेष रूप से शुभफल देने वाला माना जाता है। यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि हिन्दू धर्म के अधिकतर त्योहारों को चंद्रपंचाग पर आधारित गणनाओं के आधार पर मनाया जाता है, लेकिन मकर संक्रांति का त्योहार सूर्यपंचांग पर आधारित गणनाओं के आधार पर मनाया जाता है।

मकर संक्रांति 2020 मुहूर्त
पुण्य काल मुहूर्त : 07 :15 :14 से 12 :30 :00 तक
अवधि 5 घंटे 14 मिनट
महापुण्य काल मुहूर्त 07 :15 :14 से 09:15:14 तक
अवधि 2 घंटे 0 मिनट
संक्रांति पल 01:53:48

मकर संक्रांति 2020: महत्व

मकर संक्रांति 2020 के इस लेख के माध्यम से अब आपको मकर संक्रांति हिन्दू शास्त्रों में दक्षिणायण और उत्तरायण का बहुत महत्त्व है। दक्षिणायण को देवताओं की रात और उत्तरायण को देवताओं का दिन माना जाता है। इसलिए इस दिन गंगास्नान करके, गंगा के तट पर जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि करने को बहुत शुभ माना जाता है। यह भी मान्यता है कि इस दिन आप जो भी दान करते हैं उसका फल आपको सौ गुना बढ़कर मिलता है। साथ ही इस दिन दिया गया कम्बल और शुद्ध देशी घी का दान मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है।

मकर संक्रांति 2020: मकर सक्रांति का धार्मिक महत्त्व

मकर संक्रांति 2020: मकर सक्रांति के बारे में यह धार्मिक मान्यता है कि, इस दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव से मिलने खुद उनके घर जाते हैं। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि शनि मकर राशि के स्वामी हैं। साथ ही इस दिन गंगाजी राजा भगीरथ के पीछे कपिल मुनि के आश्रम से गुजरती हुई अंततः समुद्र में मिल गयी थी, इस दृष्टि से भी मकर सक्रांति का महत्व बढ़ जाता है।
एक धार्मिक मान्यता यह भी है कि इसी दिन यशोदा जी ने श्रीकृष्ण को पुत्र रूप में प्राप्त करने के लिए
व्रत किया था। शास्त्रों में यह भी मान्यता है कि दक्षिणायण के दौरान मरने वाले प्राणी को फिर से जन्म लेना पड़ता है, जबकि उत्तरायण के दौरान मरने वाला प्राणी फिर जन्म नहीं लेता। इस मान्यता के कारण महाभारत के दौरान भीष्म पितामह ने शर-शैय्या पर पड़े होने के बावजूद तब तक प्राण नहीं छोड़ें थे, जब तक सूर्य ने उत्तरायण में प्रवेश नहीं कर लिया। मकर सक्रांति के अवसर पर खेतों में नयी फसल लहलहा रही होती है, जो किसानों की कड़ी मेहनत को दर्शाती है। नए मौसम में नयी फसल काटने का उत्साह किसानों में देखते ही बनता है। एक तरह से देखा जाए तो मकर सक्रांति पर एक नयी शुरुआत का अनुभव होता है, जो बरबस ही सबको एक हार्दिक प्रसन्नता और नए उत्साह से भर देती है।

मकर संक्रांति 2020: मकर संक्रांति का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिषशास्त्र मकर संक्रांति के त्योहार को बेहद अहम और पवित्र मानता है। मान्यता है कि मकर संक्रांति के बाद सब शुभ लग्न और नक्षत्र साथ में आते हैं। ज्योतिषियों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन अमृत सिद्धि, सर्वार्थ सिद्धि, अश्लेषा नक्षत्र का शुभ योग बनता है। ये नक्षत्र सभी राशियों के लिए शुभ फलदायी साबित होते हैं। ये था मकर संक्रांति 2020 के अनुसार इस पर्व का ज्योतिषीय महत्त्व।

मकर संक्रांति 2020: मकर सक्रांति का वैज्ञानिक महत्व

मकर संक्रांति 2020 के लेख के माध्यम से अब जानते हैं इस पर्व का वैज्ञानिक महत्व। मकर सक्रांति का वैज्ञानिक महत्व भी कम नहीं है, इस दौरान नदियों में वाष्पन होता है और इस समय नहाने से कई तरह के रोग दूर हो सकते हैं, इसलिए इस दिन नदी में स्नान करना विशेष रूप से लाभप्रद है। इस समय तिल-गुड़ का सेवन करना शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ ही शरीर को भरपूर ऊर्जा देता है, जिससे बदलते मौसम में शरीर स्वस्थ रहता है।

मकर संक्रांति 2020: मकर संक्रांति की परंपराएं

भारतवर्ष में हर त्योहार को मनाने की अलग-अलग परंपरा होती है। मकर संक्रांति के मौके पर भी कुछ लोग तिल के लड्डू बनाते हैं तो कुछ लोग तिल-गुड़ की गजक। चूँकि मकर संक्रांति के मौके पर उत्तर भारत में ठंड पड़ती है तो इस मौके पर कई लोग घी से बने पकवान भी बनाते हैं क्योंकि इससे शरीर को आवश्यक गर्मी मिलती है। ऐसी मान्यता भी है कि मकर संक्रांति के मौके पर मीठे पकवान बांटने से रिश्ते भी सुधरते हैं।

मकर संक्रांति 2020: मकर सक्रांति मनाने के तरीके

आइये अब मकर संक्रांति 2020 के माध्यम से जानते हैं इस पवित्र त्यौहार को मानाने के विभिन्न तरीके। यूं तो देशभर में मकर सक्रांति का त्योहार विभिन्न तरीकों और स्थानीय मान्यताओं के अनुरूप ही मनाया जाता है, फिर भी इस दिन बड़ी संख्या में जहाँ उत्तर प्रदेश में लोग गंगा में स्नान करके गंगा के किनारे पर यथासंभव दान करना जरुरी और शुभ मानते हैं, वहीं पंजाब और हरियाणा में इस दिन को हर साल 13 जनवरी के दिन लोहड़ी के रूप में मनाने की परंपरा है। शाम ढलने के बाद लकड़ियों के ढेर में आग जलाकर उसमें भुने हुए मक्के, तिल, गुड़ और चावल की आहुति अग्निदेव को समर्पित की जाती है। फिर उसके चारों ओर नाचते गाते हुए लोग तिल, मूंगफली की गजक और रेवड़ियां आदि आपस में बांटकर खुशियां मनाते हैं। इस अवसर पर मक्के की रोटी और सरसों के साग़ का सेवन ख़ुशी को और बढ़ा देता है। उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार में भी इस त्योहार को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। जिसमें इस दिन खिचड़ी खाना और खिचड़ी दान करना शुभ समझा जाता है।

मकर संक्रांति 2020 के इस लेख के माध्यम से अब दक्षिण भारत में इस त्यौहार की महत्ता को बताते हैं। तमिलनाडु में इस त्योहार को ताई पोंगल के रूप में चार दिन तक मनाया जाता है। चौथे दिन नहाकर खुले आँगन में मिट्टी के बर्तन में खीर बनायी जाती है, जिसे पोंगल कहते हैं। सूर्यदेव को इस खीर का नैवैद्य अर्पित किया जाता है और उसके बाद खीर को प्रसाद के रूप में सभी ग्रहण करते हैं। इस दिन बेटी और दामाद को खासतौर से आमंत्रित किया जाता है। राजस्थान में मकर सक्रांति पर विवाहित महिलाओं द्वारा अपनी सास को बायना देकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है और चौदह की संख्या में सुहाग की कोई भी वस्तु पूजकर चौदह ब्राह्मणों को दान की जाती है।

मकर संक्रांति 2020: मकर सक्रांति पर मेलों का आयोजन

मकर सक्रांति का त्यौहार, वास्तव में प्रकाश के अखंड स्रोत सूर्य के प्रति कृतज्ञता दर्शाने का एक माध्यम है, जो अपनी धार्मिक, लौकिक और वैज्ञानिक उपयोगिताओं के कारण सभी के लिए बहुत महत्व रखता है।

उम्मीद करते हैं कि ऊपर दी गई जानकारी आपको पसंद आयी होगी। मकर संक्रांति 2020 के लिए आपको हमारी ओर से बहुत-बहुत शुभकामनाएँ !


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