नई दिल्ली, 12 अगस्त
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को कहा कि सरकार और समाज को उन लोगों पर नजर रखनी चाहिए और उनके खिलाफ आवाज बुलंद करनी चाहिए जो धर्म के नाम पर अशांति और हिंसा फैलाने में लगे हो।
प्रधानमंत्री, वर्ष 2007 और 2008 के लिए कबीर पुरस्कार और राष्ट्रीय सांप्रदायिक सद्भावना पुरस्कार वितरण समारोह में बोल रहे थे। मनमोहन सिंह ने कहा, "मैं मानता हूं कि सरकार और सामाजिक समूहों को उन समूहों और व्यक्तियों पर बराबर नजर रखनी चाहिए और उनके खिलाफ आवाज बुलंद करनी चाहिए जो धर्म के नाम पर हिंसा का सहारा लेते हैं।"
इन पुरस्कारों को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने प्रदान किया।
मनमोहन सिंह ने कहा, "कोई भी धर्म हिंसा की इजाजत नहीं देता। कोई भी धर्म घृणा की बात नहीं करता। कोई भी धर्म मानव के बीच वैरभाव की बात नहीं करता। जो लोग हिंसा, सांप्रदायिकता और मतभेद की बात करने के लिए धार्मिक प्रतीकों और मंचों का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें उनके धर्म का सच्चा प्रवक्ता नहीं कहा जा सकता।"
समारोह में उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, गृह मंत्री पी.चिदंबरम, विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी और गृह राज्यमंत्री अजय माकन खासतौर पर उपस्थित थे।
आईआईटी मुम्बई के पूर्व प्राध्यापक डॉ. राम पुनियानी को व्यक्तिगत श्रेणी के तहत राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार प्रदान किया गया, जबकि चैरिटेबल ट्रस्ट सेतु और अंजुमन सैर-ए-गुल फरोशां को संस्था की श्रेणी के तहत राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार प्रदान किया गया। कबीर पुरस्कार खलीफा गुफरान, अब्दुल गनी अब्दुल्लाभाई कुरैशी और गुलाम अहमद भट्ट को प्रदान किया गया।
राष्ट्रीय सांप्रदायिक सद्भावना पुरस्कार की स्थापना केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय सांप्रदायिक सौहार्द्र प्रतिष्ठान (एनएफसीएच) ने सांप्रदायिक सद्भावना और राष्ट्रीय एकता के संबर्धन हेतु 1996 में की थी।
कबीर पुरस्कार किसी समुदाय के ऐसे व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है, जो दूसरे समुदाय के लोगों की संपत्ति और जिंदगी बचाने का साहस दिखाते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।