सत्या,शूल से लेकर राजनीति तक तमाम फिल्मों में अभिनेता मनोज बाजपेयी ने अदाकारी के नए आयामों को छुआ है। आरक्षण में उनकी भूमिका एक बार फिर चर्चा में है। वह ईमानदार प्रिंसिपल अमिताभ के सामने 'बेइमान' अध्यापक की भूमिका में हैं। अमिताभ के साथ एक्टिंग से लेकर आरक्षण जैसे गंभीर मसले पर उनकी क्या सोच है, इस बारे में उनसे खास बात की पीयूष पांडे ने।
सवाल-‘आरक्षण’ पर हंगामा बरपा है। फिल्म का सदस्य होने के नाते आपको भी अहसास रहा होगा कि आरक्षण जैसे विषय पर फिल्म बनाना बवाल मोल लेना है?
जवाब-आरक्षण क्यों विवादास्पद विषय है, मेरी समझ में नहीं आता। यह एक संवैधानिक सत्य है। देश के नागरिक होने के नाते हम फिल्म में अदालत की अवमानना थोड़े करेंगे। लोगों की राय अलग अलग हो सकती है, लेकिन सच यह है कि जो लोग हंगामा मचा रहे हैं, उन्होंने फिल्म नहीं देखी है। फिल्म को सेंसरबोर्ड ने पास किया है। उन्होंने हर दृश्य को, हर संवाद को देखा है। मेरा मानना है कि फिल्मकार की नीयत नहीं होती कि वो जानबूझकर हंगामा खड़ा करे। हम आरक्षण पर सवाल खड़ा ही नहीं कर सकते। लोग फिल्म देखेंगे तो विवाद शांत हो जाएगा। क्योंकि, तब उन्हें लगेगा कि उन्होंने एक मनोरंजक और ज्ञानवर्धक फिल्म देखी। सच कहूं तो यह फिल्म हर उस बच्चे के लिए है,जो स्कूल जाता है, कॉलेज जाता है। हर उस मां-बाप के लिए है, जिनके बच्चे शिक्षा पा रहे हैं। शिक्षा के व्यवसायीकरण पर एक टिप्पणी है फिल्म।
सवाल-तो फिल्म के केंद्र में आरक्षण का विषय नहीं है।
जवाब-मैं फिल्म की कहानी पर ज्यादा नहीं बोलूंगा। फिल्म में आरक्षण पर बात है, लेकिन साथ ही शिक्षा के व्यवसायिकरण पर भी टिप्पणी है।
सवाल-निजी तौर पर आरक्षण पर आपकी क्या राय है।
जवाब-मेरी राय अदालत से अलग नही है। सामाजिक और आर्थिक रुप से पिछड़ों को मुख्यधारा में लाने का काम होते रहना चाहिए। यह व्यवस्था संविधान में है। इस व्यवस्था में सुधार का काम होना है तो वह भी कानून के जरिए होगा। लेकिन पिछड़ों को आगे लाने व आर्थिक व सामाजिक रुप से उन्नत बनाने के बारे में दो राय नहीं हो सकती।
सवाल-चलिए यह बताइए कि आरक्षण में आपकी क्या भूमिका है?
जवाब-मेरी भूमिका एक प्रोफेसर की है,जो आरक्षण के बिलकुल खिलाफ है। उसके लिए शिक्षा व्यवसाय है। इस प्रोफेसर का मानना है कि शिक्षा भी एक प्रोडक्ट है, जिससे पैसा कमाया जा सकता है।
सवाल-अक्स के बाद फिर आपका अमिताभ बच्चन से सीधा मुकाबला है। वह फिल्म में ईमानदार प्रिंसिपल हैं और आप उनके खिलाफ खड़े प्रोफेसर।
जवाब-अमिताभ बच्चन जैसे शख्स के साथ मुकाबले की बात सोचना भी बेमानी है। उनके साथ मुकाबला हो ही नहीं सकता। हां, सीखने को बहुत मिलता है। ‘अक्स’ के वक्त मैं उनके सामने हिचकिचाता था। मैं नया था। लेकिन, अब उनसे संबंध प्रगाढ़ हो चुके हैं। वह अपने दायरे में मुझे बहुत छूट देते हैं। इस बार भी मैंने उनके साथ का भरपूर लुत्फ लिया। शूटिंग के बाद मैं उनके साथ कई मुद्दों पर बात करता था।
सवाल-अमिताभ बच्चन के साथ काम करना क्या कलाकारों को, खासकर उन युवा कलाकारों को जिनके वे आदर्श रहे हैं, कितना सहज बनाता है या मुश्किल।
जवाब-मुझे लगता है कि जब आप किसी सीनियर के साथ काम करें, जिसकी आप इज्जत करते हैं, तो आपको सिर्फ अपने काम में मन लगाना चाहिए। काम ही है, जिससे आप इज्जत पा सकते हैं। अगर आपका काम ही अच्छा नहीं होगा तो उनके मन में यह बात आ सकती है कि किस तरह के एक्टर को सामने लाकर खड़ा कर दिया। तो मैं मेहनत करता हूं। काम को गंभीरता से लेता हूं। फिर हम खाली समय में सीनियर्स से गप्प मारता हूं। आरक्षण के वक्त अमिताभ जी के साथ भी यही हुआ।
सवाल-आप ट्विटर पर भी एक्टिव हैं। तो अब आपका ट्विटर एकाउंट भी आरक्षण के रंग में रंगा दिखायी देगा?
जवाब-बिलकुल नहीं। मैं ट्विटर पर रोजमर्रा की बातें लिखता हूं। मेरे फैन्स उसे पसंद करते हैं। मैं चाहे ब्लॉग लिखूं या ट्विटर पर ट्वीट करुं-फिल्म के अलावा भी बहुत कुछ लिखता हूं। ब्लॉग लिखना थोड़ा मुश्किल काम है, क्योंकि उसमें किसी विषय पर सोचकर लंबी पोस्ट लिखनी होती है। जबकि ट्वीट आसान है। मोबाइल से हो जाता है।
सवाल-टेलीविजन की तरफ रुख नहीं कर रहे आप?
जवाब-मेरी शुरुआत फिल्मों से हुई। लेकिन, संघर्ष के दिनों में मैंने टेलीविजन पर काम किया। टेलीविजन पर अब भी मैं काम करना चाहता हूं। लेकिन, सीरियल में नहीं। अच्छे रिएलिटी शो का ऑफर मिले तो जरुर करना चाहूंगा। इसकी वजह यह कि रिएलिटी शो की शूटिंग में ज्यादा दिन नहीं देने पड़ते। फिल्मों के साथ यह किया जा सकता है। लेकिन, सीरियल बहुत समय मांगते हैं।
सवाल-आरक्षण के बाद कौन सी फिल्में कतार में हैं।
जवाब-अनुराग कश्यप की एक फिल्म है। इसके बाद विक्रम भट्ट की एक फिल्म है, जिसे मकबूल खान ने निर्देशित किया है। फिल्म का नाम अभी नहीं रखा गया है। इसकी पूरी शूटिंग बिजनौर में हुई है। चिट्टगोंग भी बनकर तैयार है,जो जल्द ही दर्शकों के सामने आएगी। कुछ और प्रोजेक्ट भी हैं, जिन्हें आरक्षण के रिलीज होने के बाद गंभीरता से फाइनल करुंगा।
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