13 जून 2011
लास एंजेलिस। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने माइग्रेन से सम्बंधित तीन जीन (आनुवांशिक इकाई) खोजे हैं। इस खोज के बाद अत्यधिक सिरदर्द की वजह समझने की दिशा में मदद मिलने की उम्मीद है।
इन तीन जीनों में से किसी एक के माता-पिता से बच्चों में पहुंचने पर भयंकर सिरदर्द का खतरा 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। 'नेचर जेनेटिक्स' पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यह बात कही है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक ये तीन जीन टीआरपीएम8, एलआरपी1 और पीआरडीएम16 हैं। इनमें से पहले जीन की मौजूदगी सर्दी और दर्द के प्रति संवेदनशीलता के लिए जिम्मेदार होती है जबकि दूसरे जीन की मौजूदगी तंत्रिकाओं में संकेतों के प्रवाह को प्रभावित करती है।
हार्वर्ड मेडीकल स्कूल के ब्रिगहैम एंड वूमैन्स अस्पताल के शोधकर्ता डेनियल चैसमैन का कहना है, "अब तक माइग्रेन को पूरी तरह से नहीं समझा जा सका था और इसकी वजहों को दूर करना मुश्किल था। तीन नए जीनों की खोज से इस बीमारी के जीववैज्ञानिक कारणों को समझने और इस स्थिति के इलाज की दिशा में मदद मिल सकेगी।"
शोधकर्ताओं ने 5,000 माइग्रेन पीड़ित महिलाओं सहित 23,000 से अधिक महिलाओं के आनुवांशिक आंकड़ों के परीक्षण के आधार पर यह शोध किया है।
शोधकर्ताओं ने अपने इस शोध के परिणामों को उत्साहजनक बताया है लेकिन उनका मानना है कि ये जीन माइग्रेन से किस प्रकार जुड़े हुए हैं इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।
माइग्रेन एक ऐसी बीमारी है जिसमें उद्दीपनों के प्रति तंत्रिका कोशिकाओं की असामान्य प्रतिक्रिया होती है। इस बीमारी में सिर में अत्यधिक दर्द होता है, इससे अक्सर मतली होती है व प्रकाश और ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है।
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