इधऱ अपनी हालत भी दिग्गी राजा सरीखी हो गई है। कोई सीरियसली नहीं लेता। पिताजी ने बचपन से नहीं लिया। पत्नी की नजर में हम इस काबिल नहीं। बेशर्म बच्चों को शायद इस बात पर शर्म आती है। परेशानी यह है कि इन दिनों मोहल्ले वालों ने भी सीरियसली लेना बंद कर दिया है। मुझ जैसे घनघोर बुद्धिजीवी की इस तरह की बेइज्जती पहले कभी नहीं हुई। पहले मोहल्ले वाले सुनते थे। सुनते क्या थे अमल करते थे। फिर उन्होंने अमल करना बंद कर दिया। सुनना जारी रखा। वक़्त बदला तो सुनना भी बंद कर दिया। लेकिन, हां-हूं के भाव देते रहे। अपन को ऐसा लगता कि भाई लोग सुन रहे हैं। अब लोग न सुनते हैं, न हां-हूं करते हैं और न ऐसा लगता है कि वे सुन रहे हैं।
हां, हम बिलकुल फिनिश हो लिए हैं और दिग्गी राजा एक स्टेप पहले हैं। आजकल लोगों का मनोरंजन करा रहे हैं। कह रहे हैं और पलट रहे हैं। राजनीति में कुछ शानदार वाक्य इजाद किये गए हैं - यह उनके व्यक्तिगत विचार हैं या मेरी बात को तोड़मरोड़कर छापा गया। कभी कभी सोचता हूं कि अगर इन महान वाक्यों का जन्म न हुआ होता तो क्या होता? चूंकि बुद्धिजीवी हूं तो इस तरह के महान वाक्यों पर चिंतन आवश्यक मानता हूं।
लेकिन इस मसले पर चिंतन पैंडिंग अवस्था में है। सरकारी फाइलों की तरह चिंतन भी पैंडिंग किया जा सकता है। एक्सपर्टीज है इसमें। फिलहाल अपना ध्यान सीरियसली न लेने के मुद्दे पर है। इस चिंतनमुद्रा में सवाल भाग्यवान से कर दिया- “सुनो तुम तो मुझे सीरियसली लेती नहीं हो..लेकिन यह मोहल्ले वाले भी। यह तो ऐसे नहीं थे। इनकी नजर में तो मेरे सुझाव का सम्मान था।“
पत्नी को कभी अखबार के फिल्मी पेज से दूसरे पेज पर लैंड करते नहीं देखा था। पहले पेज से उसकी दुश्मनी पड़ोस की वर्माइन जैसी थी। वर्माइन ने दूध-चीनी हमेशा उधार दिए लेकिन एक बार चाय की पत्ती खत्म होने की बात कहकर दुश्मनी मोल ली थी और पहले पेज ने इंडियन आइडल के देर रात विजेता बने अभिजीत सावंत की खबर न छापकर। पत्नी के जवाब में कोई खास बात होने की उम्मीद मंगल पर जाने की उम्मीद सरीखी बेमानी थी। लेकिन, वो बोली तो सधे चिंतक की तरह- "तुम्हारी तो औकात ही क्या। आजकल कोई किसी को सीरियसली नहीं लेता। नेताओं को उनकी पार्टी और प्रधानमंत्री को उनकी सरकार सीरियसली नहीं लेती। वित्त मंत्री को लो। वह बोले मेरी जासूसी हो रही है। तो इंटेलीजेंस ब्यूरो ने कहा- कोई च्यूंगम चिपका गया। कोई 14 जगह च्विंगम ही चिपका गया तो भी तो सीरियसली लो..। लेकिन नहीं।" पत्नी बोले जा रही थी और अपन उसे देखे जा रहे थे। बहुत सालों बाद पहली बार की तरह !
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