16 जनवरी 2013
नई दिल्ली। 'मकबूल' व 'ब्लू अम्ब्रेला' जैसी गैर-पारम्परिक फिल्मों के लिए मशहूर बॉलीवुड अभिनेता पंकज कपूर ने कहा है कि वह दिवंगत सुपरस्टार राजेश खन्ना जैसा बनने के मकसद से फिल्मोद्योग में आए थे।
पंकज ने कहा, "मैं फिल्मों में अभिनेता बनना चाहता था। मेरे एकमात्र आदर्श राजेश खन्ना थे। लुधियाना में मैं उनकी फिल्में देखते हुए बड़ा हुआ था।"
अभिनय और कला के बारे में उनके दृष्टिकोण में बदलाव तब आया जब राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) में उनका दाखिला हुआ और वह इब्राहिम अल्काजी के सम्पर्क में आए।
पंकज ने आगे बताया, "भगवान की कृपा से एनएसडी में मुझे चुना गया और अल्काजी से मेरी मुलाकात हुई। उन्होंने थियेटर की दुनिया से हमारा परिचय कराया, वैश्विक सिनेमा और चित्रकारी के बारे में हमें बताया। कलात्मकता के परिप्रेक्ष्य में उन सभी बातों से हमारा परिचय हुआ, जो उपल्बध थीं।"
पंकज ने थियेटर की दुनिया से लगाव के कारण मनोरंजन की नगरी मुम्बई में घर दिलाने के अपने पिता के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।
बकौल पंकज, "मेरे पिता ने पूछा कि आखिर में मुझे मुम्बई ही जाना होगा तो क्या वहां एक कमरा खरीद दूं। मेरा जवाब था, फिल्में कौन करना चाहता है, मुझे थियेटर से प्रेम है और मैं सारी जिंदगी इसी में यहीं बिताना चाहता हूं।"
पंकज को फिल्मों, नाटकों और धारावाहिकों में अच्छे लेखकों और अच्छी कहानियों की कमी खलती है। वह कहते हैं कि अच्छे लेखकों का न होना दुर्भाग्यपूर्ण है। फिल्मों में भी यही दिक्कत है। अब तो फिल्मों और नाटकों के संस्करण ही रह गए हैं। बमुश्किल ही कोई नया नाटक या कहानी लिखी जाती है।
उन्होंने कहा कि नए लेखन की कमी के कारण एक समय के बाद दर्शक एक ही नाटक, एक ही कहानी देख-देख कर ऊब जाते हैं।
इसके बावजूद पंकज अच्छी और मजबूत पटकथा वाली फिल्मों में काम करना जारी रखे हुए हैं। हाल ही में विशाल भारद्वाज की फिल्म 'मटरू की बिजली का मन्डोला' में उनके अभिनय को दर्शकों और समीक्षकों द्वारा काफी सराहा गया है।
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