Interview RSS Feed
Subscribe Magazine on email:    

एक्टिंग की दुनिया से स्थापित होना चाहता हूं : साहित्य सहाय

sahitya sahay starting from ka ukhad leba movie


भोजपुरी फिल्मों की दुनिया में एक नया नाम जुड़ गया है साहित्य सहाय का। हाल ही में साहित्य की पहली फिल्म “ का उखाड़ लेबा ” बिहार, छत्तीसगढ़ और पंजाब में रीलिज़ हुई है। मुंबई में पले बढ़े साहित्य का बिहार की धरती से गहरा संबंध रहा है। लेकिन साहित्य खुद को एक कलाकार के तौर पर किसी भाषा या फिर प्रदेश से जुड़ा हुआ नहीं देखते हैं। साहित्य अपने नाम की तरह ही अपने काम को विस्तार और गहराई देना चाहते हैं। पेश है साहित्य सहाय के साथ एक छोटी सी बातचीत --
 

1.आपकी पहली फिल्म क्या उखाड़ लेबा रिलीज़ हो चुकी है,अपनी फिल्म को आप एक दर्शक या फिर समीक्षक के तौर पर कितना आंकते हैं?


साहित्य – एक दर्शक के तौर पर मुझे ये फिल्म बेहद मज़ेददार लगती है, जिसकी कहानी मुझे अपने से जोड़े रखती है। इतना ही नहीं फिल्म लगातार एक उत्सुकता बनाए रखती है कि आगे क्या होने वाला है। फिल्म की कॉमेडी भी मुझे हंसाती है। इस लिहाज़ से मुझे फिल्म काफी इंटरटेनिंग लगी।एक समीक्षक की तौर पर बात करूं तो मुझे फिल्म में गलतियां भी दिखती है। खासकर मेरी खुद के परफॉर्मेंस को लेकर। लेकिन मैं ये मानता हूं कि एक कलाकार जितना भी अच्छा काम क्यों न कर ले, उसे कभी भी खुद से संतुष्ट नहीं होना चाहिए। अपनी कमियों को तलाशते रहने में ही आप अपनी कला को और निखारते रह सकते हैं।

 

2.अपने फिल्मी करियर की शुरुआत एक भोजपुरी फिल्म से ही करने की क्यों सोचा आपने?


साहित्य – ऐसा कुछ सोचा नहीं था कि करियर की शुरुआत इस भाषा की फिल्म से या हिन्दी को छोड़ कर किसी दूसरी भाषा की फिल्म से करूंगा। मैं एक एक्टर हूं, मुझे एक्टिंग करनी है। वो चाहे भोजपुरी हो या हिन्दी या फिर अंग्रेजी या पंजाबी। इसी फिल्म की शूटिंग पूरी करते ही मैंने एक अंग्रेजी नाटक में भी काम किया जिसका नाम था “ विट्नेस फॉर द प्रॉज़िक्यूशन “ . इसलिए मैं जो भी काम करता हूं मुझे उसमें मज़ा आता है। चाहे वो माध्यम कुछ भी हो।

 


3.भोजपुरी फिल्मों में भी अब काफी कॉम्पीटिशन हो चुका है, ऐसे में आप खुद के लिए भोजपुरी फिल्मों की दुनिया में कितनी जगह देखते हैं?


साहित्य – मेरी एक्टिंग की दुनिया सिर्फ भोजपुरी तक सीमित नहीं रहने वाली है और न ही मैं चाहता हूं कि रहे। कॉम्पिटिशन तो जिंदगी के सफर पर है। मैं अपनी एक्टिंग की खुद की दुनिया चाहता हूं जहां पर मैं हर किस्म की फिल्म, टीवी  और नाटक कर सकूं।


 

4.क्या उखाड़ लेबा से आपको कितनी उम्मीद है?


साहित्य – जाहिर है उम्मीद तो बहुत है इस फिल्म से। चाहता हूं कि फिल्म को इतनी सफलता मिले कि इस फिल्म से जुड़े हर किसे का फायदा हो। सभी न्यू कमर्स का करियर भी बन जाए और फिल्म पैसे भी कमा ले।

 


5.इस फिल्म के निर्देशन का काम आपके पिता और मशहूर सिनेमेटोग्राफर ज्ञान सहाय ने किया है, अपने पिता के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?


साहित्य – अपने पिता के साथ काम करने का अनुभव जितना दिलचस्प रहा उतना ही मेरे लिए गर्व की बात भी। दिलचस्प इसलिए क्योंकि बेटे और पिता का रिश्ते को नया आयाम मिला है। मैं सेट पर उन्हें एक डायरेक्टर नहीं एक पिता के तौर पर ही देखता हूं। इस वजह से मैं उनसे अपने काम और फिल्म को लेकर बहुत खुलकर बात करता हूं। कई बार तो ऐसा होता है कि घर पर हम काम की बातें करते और सेट पर घर की बातें। चूंकि हम एक दूसरे की छाया की तरह है इसलिए इससे हमारे काम को बहुत फायदा मिलता है। क्रियेटिव बातें जम कर होती हैं। मज़ा आता है। गर्व इसलिए महसूस होता है क्योंकि मेरे कई ऐसे दोस्त हैं  जिनके पिता चाहते हैं कि उनके बेटे उनके साथ काम करें लेकिन बच्चों का इंटरेस्ट कुछ और ही होता है। मेरे केस में  मेरा इंटरेस्ट वही है जो मेरे डैड का है। इसलिए मुझे उनके साथ काम करने का सौभाग्य  प्राप्त हुआ है। लेकिन ये भी सच है कि डैड की उम्मीदों पर खरा उतना कभी कभी मुश्लिक भी हो जाता है।

 

6. फिल्म से जुड़े कुछ रोचक अनुभव ?


साहित्य – पहली फिल्म है जिसमें एक्टिंज करना अपने आप में ही बहुत रोचक है। आपका कोई भी पहला अनुभव एक्साइटिंग होता है। एक किस्सा था कि एक सीन में जो फिल्म का ओपनिंग सीन भी है, उसमें हमने हमारे कैमरामैन जग्गी से एक्टिंग करवाई, वो भी बड़ा खुश होके करने को तैयार हो गया। जगजीत नाम है उसका। सीन के बारे में उन्हें कुछ नहीं बताया था, उसको बस इतना बोला गया था कि बहुत ही दबंग किस्म की एक्टिंग करनी है। वो बहुत खुश हुआ, छाती चौड़ा  करके घूमने लगा सेट पर। फिर हमसे सीन शुरु कर दिया। सीन में उसकी आधी मूंछ कटने वाली थी। इसका पता चलते ही वो हक्का बक्का रह गया। फिर उसे पता चला कि सीन के खत्म होते होते हम उसे गंजा भी बनाने वाले हैं। जो पहले दबंग बनकर सेट पर घूम रहा था वही अब वही भागता फिर रहा था। फिर उसे बताया गया कि अब तो उसपर सीन के शूटिंग की शुरुआत हो चुकी है इसलिए पूरा भी उसे ही करना होगा। तब तक सेट पर हर कोई तब तक सेट पर हर कोई काफी सीरियस था। लेकिन जैसे ही उसके गंजा होने वाला सीन शूट हुआ सेट पर मौजूद हर कोई हंस पड़ा।

 

7. का उखाड़ लेबा के बाद और क्या?


साहित्य – उम्मीद है कि और बहुत काम करने को मिले। एक अंग्रेजी नाटक किया है। फिल्म रीलिज़ हो चुकी है। आशा करता हूं कि लोगों को फिल्म पसंद आये और दूसरे निर्माता निर्देशक भी मुझे आज़माएं।

 

8.फिल्मों में आने से पहले आप दूरदर्शन पर एंकरिंग और एक्टिंग भी कर चुके हैं, इनका कितना फायदा मिला आपको?
 

साहित्य – एंकरिंग और टीवी एक्टिंग का फायता मुझे टेक्निकल तौर पर हुआ है, क्योंकि वहां मुझे फिल्म की तकनीक समझ में आया। एक एक्टर की समझ मुझे मेरे गुरु बैरी जोन्स से मिली है।

 

 

More from: Interview
34103

ज्योतिष लेख

मकर संक्रांति 2020 में 15 जनवरी को पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। जानें इस त्योहार का धार्मिक महत्व, मान्यताएं और इसे मनाने का तरीका।

Holi 2020 (होली 2020) दिनांक और शुभ मुहूर्त तुला राशिफल 2020 - Tula Rashifal 2020 | तुला राशि 2020 सिंह राशिफल 2020 - Singh Rashifal 2020 | Singh Rashi 2020