अरे चंपक भाईसाहब आ गए क्या, गिरधारी लाल भी जुड़ चुके हैं, फिर कुंए में से आवाज आई फत्ते खान की ऑनलाइन सरजी.. मुस्करा दिया हर कोई..आओ मुरादबाद के नवाब, मैं भी जुड़ चुका हूं..ये उदघोष कालीचरन शिरोडकर का था...एक एक करके अटैंडेंस लगा रहे थे लोग। मामला ही कुछ ऐसा था कि अचानक अखिल भारतीय न्यूज चैनल्स स्ट्रिंगर संघ को आपात कॉल कॉन्फ्रेंस आहूत करनी पड़ी थी, वैसे हफ्ते-दस दिन में ये होती ही थी, मसले ही इतने गंभीर आ जाते थे। आखिर 24 तारीख को सचिन की सालगिरह है। कोई हल्के में लेने की बात तो है नहीं. एक एक स्टोरी तो बनती ही है। वैसे भी छोटे शहरों के इन रिपोर्टर्स को तनखा तो मिलती नहीं।
बनारस बाबू इस डर से सबसे पहले कूदा कि कहीं हरिद्वार, उज्जैन, मथुरा या अयोध्या जैसी धार्मिक नगरी का रिपोर्टर ना बोल पड़े, मैंने तो सोचा है कि सचिन के नाम का संधि विच्छेद करके सौ चिन होता है, तो बाबा विश्वनाथ की सीढियों पर सौ लड़को को पंडों के भेष में बैठाकर उनकी चिन या ठोड़ी पर सचिन का नाम गुदवा दूं और फोटो भी। भाट एन आइडिया सरजी, सौ चिन मलतब सचिन...लपक के हरिद्वार वाला बोल पड़ा, मैं तो घिसा पिटा फॉर्मूला यानी यज्ञ करवाने के मूड में था, अब सोच रहा हूं एक एनजीओ वाले बहुत दिमाग चट रहे हैं, पैसे भी खर्चने के मूड में हैं, क्यों ना सचिन का पुछल्ला ‘तेंदुलकर’ यूज करके सबको तेंदुए की खाल वाली ड्रेस पहनाकर बीच हरि की पैडी पर केक कटवा दूं। विजुअल अच्छे बनेंगे तो दिल्ली वाले साले कैसे मना करेंगे। मेरे दिमाग में भी बत्ती जल गई भाई साहब उज्जैन वाले कालीचरन उचक उठे, एक महिला क्लब वाली आंटी बहुत दिनों से पीछे पडी हैं, सचिन की बीवी अंजली के नाम से आइडिया मिला है कि सचिन के जन्मदिन पर एक सौ ग्यारह या पांच सौ एक औरतें अपनी अजलियों में दूध लेकर सचिन के नाम पर महाकाल को चढ़ाएंगी। बब्बर शेर........।
टेलीफोनुक महफिल शबाब पर थी, एक से बढ़कर एक धांसू-छप्पर फाड़ आइडिया दे रहे थे, हर एक की चिंता थी कि आइडिया क्लैश ना हो जाए, इसलिए ये कॉल कॉन्फ्रेंस करके दिल्ली के आकाओं को चकमा दिया जा रहा था। कमाई के तो पचास जुगाड़ थे, उसके लिए तो चैनल का माइक लोगो ही काफी था, लेकिन शहर के लोगों को टीवी पर चेहरा भी तो चमकाना था। और सचिन का बर्थडे उनके लिए कस्टमर बढ़ाने का अच्छा मौका था। वैसे भी हर तिमाही में पांच एनजीओ लांच भी तो करवाने होते थे, यू नो सोशल सर्विस। सो कॉल करते वक्त ऐसे दुधारू क्लबों-संगठनों के बंदे भी मौजूद थे, फोन पर आइडिया सुनाते वक्त नजरें उन पर थीं, और उनका सर ऐसे हिलता था, कह रहें हो फिकर करें फुकरे.. हम ठुड्डियां गुदवा लेंगे, अंटी पकड़ इशारा करते थे कि अरे इसकी क्या चिंता... पैसा बात को या स्वाद को।
सो फायनल आइडियाज तय हो चुके थे, मेरठ में एक बल्ले वाले से सैंटिग करके सचिन की जगह उसके बेटे अर्जुन ब्रांड का बल्ला लांच किया जाएगा, बेटे के नाम इसलिए कि सचिन ने कही ब्रांड वैल्यू का हवाला देके केस कर दिया तो। सूरत में एक ज्वैलरी ब्रांड सचिन के असली ऑटोग्राफ लेकर आने वालों को हीरे-सोने की ज्वैलरी खरीद में 24 फीसदी की छूट देगा। किस कम्बख्त के पास होंगे, और वो भी केवल 24 तारीख को, और फिर कैसे साबित करेगा कि ये सचिन के ही साइन हैं। पुने में जो लोग 24 अप्रैल को ही पैदा हुए हैं, एक बेकरी उनको केक में सचिन की उम्र के बराबर यानी 38 फीसदी की छूट देगी। बढ़ा के कम करने का वैसे भी उनका जुगत पुराना है। इलाहाबाद वाला 24 कवियों का क्रिकेट कवि सम्मेलन करवाएगा, सचिन और क्रिकेट के अलावा बाकी कविताएं एलाउड नहीं होगीं तो आगरे में एक क्लब शहर में सचिन नाम के 24 लड़कों को सर्च करके उन्हें ताजमहल की सैर कराएगा और शहरभर में उनकी बाइक रैली निकालेगा। तो जोधपुर के दो पड़ौसी जूता दुकानदारों से वहां के लड़के ने ऐलान करवा दिया है कि उनकी दुकान पर जो भी सचिन, अर्जुन या अंजलि नाम के लड़का-लड़की अपने आईकार्ड के साथ आएंगे उनको 24 फीसदी की छूट मिलेगी। वैसे वो ज्यादा घिस घिस करने वालों को बीस से बाईस फीसदी तो दे ही देते थे। हिसार के एक पंडित पर हिसार वाले लड़के ने ऐलान करवा दिया कि ताउम्र सचिन नाम के लड़कों की शादी बिना नकद दक्षिणा के करवाएगा। आइडिया की रेलमपेल हो गई, एक सेर तो दूसरा पौने दो सेर। काश बॉलीवुड का कोई डायरेक्टर इस कॉन्फेंस में होता तो उसे अपने राइटर्स पर शरम आ जाती। एकाध आइडिया का कॉपीराइट ही कर लेता। मैं तो सोच रहा हूं कि इस कॉल कॉफ्रेंस का का ही कॉपीराइट खरीद लूं।
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